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________________ कोचर वरसौद मिलती थी । संवत् १८८२ में पालड़ी नामक गांव इनको जागीरी में मिला । जो इनके पुत्र विशनदासजी के नाम पर रहा। मेहता अगरचन्दजी के अमोलकचन्दजी तथा वल्लभदासजी नामक पुत्र हुए । अमोलकचन्द . जी के पास जयपुर का गांव जागीरी में था। इनके पुत्र जयसिंहदासजी उमरभर हाकिम रहे। इन्होने बहुत अच्छा काम किया । आपको कर्नल " जेकब" से उत्तम प्रमाण पत्र मिले थे। आपके पुत्र जसराजजी तथा भगवानदासजी हुए। आपने मारोठ की सायर में, तथा जयपुर में जिलेवारी का काम किया था । पश्चात् आप घर का काम देखने लगे थे। आपके समरथराजजी तथा इमरतराजजी नामक २ पुत्र हुए । मेहता समरथराजजी हवाला विभाग से रिटायर्ड होने पर पोकरण ठाकुर के दुमाड़ा डिविजन में कामदार हैं। आपके पुत्र मेहता उम्मेदराजजी होशियार तथा मिलनसार युवक हैं । इमरतराजजी जयपुर में रहते हैं । मेसर्स रायमल मगनमल कोचर स्था, हिंगनघाट इस खानदान के लोग स्थानकवासी जैन आम्नाय के मानने वाले सज्जन हैं । आपका मूल निवास स्थान हरसोरा ( जोधपुर स्टेट ) का है। संवत् १९१६ में पहले सेठ रायमलजी भागपुर आये और यहां पर आकर आपने कपड़ा, लेनदेन इत्यादि की दुकान खोली । रायमलजी का स्वर्गवास सेठ संवत् १९३६ में हुआ । आपके पश्चात् आपके पुत्र मगनलालजी ने इस फर्म के काम को संचालित किया । आप संवत् १९७१ में स्वर्गवासी हुए । आप की मृत्यु के पश्चात् इस फर्म को आपके पुत्र चन्दनमलजी तथा धनराजजी ने संभाला। श्रीयुत चन्दनमलजी का जन्म संवत् १९१७ में हुआ है। बहुत उति की । आप बड़े व्यापार कुशल, बुद्धिमान और दूरदर्शी पुरुष हैं । समय यह फर्म सी० पी० की बहुत मातवर फर्मों में से एक मानी जाती हैं। फर्म को भर से हजारों एकड़ भूमि में काश्तकारी की जाती है। चन्दनमलजी के मोतीलालजी नामक एक पुत्र हुए मगर आपका असमय में ही देहान्त होगया । आपके यहां पर पुखराजजी लोहावट ( जोधपुर स्टेट) से दस्तक लाये गये । आपके भाई धनराजजी का स्वर्गवास संवत् १९८६ की बैशाख बदी ५ को हुआ । आप बड़े धार्मिक और परोपकारी पुरुष थे । आपके हाथों से प्रायः सभी धार्मिक काय्यों में सहायता मिलती रहती थी । श्री पुखराजजी कोचर - आप बड़े देश भक्त, समाज सेवी, उदार एवम् लोकप्रिय युवक हैं । सी० पी० के ओसवाल नवयुवकों में आपका नाम बड़ा अग्रगण्य तथा सम्माननीय है । आप यहां की ९७ ४४९ - आपने इस फर्म की आप ही की वजह से इस हिंगनघाट जिले में इस
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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