SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 998
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मोसवाल जाति का इतिहास • कोचर मेहता नेलाजी-भापकी योग्यता से प्रसन्न होकर मोटा राजा उदयसिंहजी बापको जोधपुर लाये। संवत् १९९७ में आपके परिश्रम से जोधपुर दरवार सूरसिंहजी को बादशाह से मेड़ता पर. गना जागीर में मिला। इस चतुराई से प्रसन्न होकर दरबार ने संवत् १९६४ में आपको दीवानगी का सम्मान वस्या और हाथी तथा सिरोपाव इनायत किया। आपने गुरां के टोना मारने से लुकागाछ की आम्नाय स्वीकार की। आपके काका पदोजी १६६२ में सीवाणे गढ़ की लड़ाई में बादशाह की फोज द्वारा मारे गये। आपकी बनवाई बावड़ी, वहां अब भी “भूतों का बेरा" के नाम से विधमान है। मेहता बेलाजी के पुत्र जगनाथजी संवत् १६९२ में फलोदी के हाकिम थे । इनके पुत्र कल्याणदासजी केसांवलदासजी. गोपालदासजी और माधोदासजी नामक पुत्र हए । मेहता सांवलदासजी-आप सीवाणे के हाकिम थे। आपको महाराजा अजितसिंहजी ने सम्वत् १०६९ में गुजरात के धंधूके परगने का मुन्तजिम बनाकर भेजा। ५ वर्ष तक आप वहाँ रहे । मेहता गोपालदासजी-आप सीवाण, तोड़ा तथा जोधपुर परगने के हाकिम रहे। संवत् १४॥ में भापको २५००) की रेत का एक गांव जागीर में मिला तथा पालकी सिरोपाब इनायत हुआ। आपके गोपनदासजी तथा रामदानजी नामक २ पुत्र हुए। मेहता माधोदासजी भी हुकूमत करते थे। मेहता रामदानजी-आप दोनों भाइयों ने भी अच्छी इज्जत पाई। रामानजी सम्पत्तिशाली व्यक्ति हुए। आपको संवत् १८१३ में मेडते प्रगणे का सरसंडो नामक गांव जागीर में मिला था। इसी साल २ माह बाद ४०० बीघा जमीन और आपको इनायत हुई । जयपुर महाराज इनसे बड़े प्रसन्न थे। रामदानजी, राजकुमार जालिमसिंहजी के कामदार थे। इनके माईदासजी तथा मोहनदास जी नामक २ पुत्र हुए। मेहता माईदासजी-माम जोधपुर, जयपुर के जमीन की हिस्सा रसी में सम्मिलित थे। आप को संवत् १८८२ में जयपुर दरबार से "पालड़ी" नामक गांव जागीर में मिला। जोधपुर दरवार ने भी मोहनसिंहजी को निंबोला गांव जागीर में दिया था। माईदासजी ने कुंभलगढ़ की गढ़ी खाली कराई । दरबार ने आपको दुशाला सिरोपाव और घोड़ा इनायत किया। आपके पुत्र अगरचन्दजी, मानमलजी तथा किशनदासजी हुए। मेहता अगरचंदजी-आप १८६९ में नागोर किले तथा शहर के कोतवाल रहे। संवत् १८९४ में आपको जयपुर स्टेट से “ीटका" नामक गांव जागीर में मिला। इसी साल मेजर फास्टर साहिब ने भापको तैनाती में धादेतियों को दबाने के लिये फौज भेजी। मेहता मानमलजी को ५.०) सालिबाना
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy