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________________ की चर मेहता बुधमलजी - आप भी बड़े प्रतिभाशाली पुरुष हुए। संवत् १८९८ की चैत वदी १४ को आपको जोधपुर की दीवानगी का ओहदा प्राप्त हुआ । आपके छोटे भाई मेहता मूलचन्दजी भी पर्वतसर भादि स्थानों पर हुकूमातें करते रहे । मेहता उम्मेदमलजी जवाहरमलजी - आप दोनों बंधुओं को समय २ पर जोधपुर दरबार की ओर से कई सम्मान मिलते रहे। आपको सायर की माफी का रुक्का भी मिला था। आपके किये जोधपुर दरबार ने निम्नलिखित एक रुक्का भेजा था, मुला उम्मेदमल कस्य सुप्रसाद बांचजो तथा श्री बड़ा महाराज री सलामती में मुता सूरजमल के श्राजीविका मुलायजो थो जीण माफक थारो रेहसी इसमें फरक पडतो श्री इष्टदेव ने बड़ा माराजरी आण है। संवत् १६०० रा कातिक बदी ४ इन दोनों भाइयों का स्वर्गवास क्रमशः संवत् १९२१ तथा २४ में हो गया । मेहता उम्मेदमल जी के पुत्र शिवनाथमलजी परवतसर तथा सोजत के हाकिम हुए। आपका स्वर्गवास सं० १६५६ में हुआ । आपके पनराजजी तथा सावंतमलजी नामक २ पुत्र हुए । मेहता पनराजजी - आपका जन्म संवत् १९२२ में हुआ। आप २० सालों तक राखी ठिकाने के वकील रहे। आप सोजत के मुस्सुद्दी समाज में समझदार तथा वयो वृद्ध सज्जन हैं। आपके ५ पुत्र हैं । जिनमें मेहता सहस मलजी बीकानेर स्टेट रेलवे में मुलाजिम हैं। आप दत्तक गये हैं। दूसरे मेहता सम्पतमलजी मारवाड़ राज्य में डाक्टर हैं। आप इस समय फलोधी में हैं। तीसरे मेहता किशनमलजी कलकत्ते मैं बिड़ला ब्रदर्स फर्म पर सर्विस करते हैं। तथा शेष २ बाघमलजी और विजयमलजी हैं। इसी तरह मेहता सांवतमलजी के पुत्र मेहता जगरूपमलजी बीकानेर स्टेट के आडिट विभाग में मुलाजिम हैं । इसी तरह इस परिवार में मेहता बुधमलजी के पुत्र वख्तावरमलजी, चन्दनमलजी तथा भगनमलजी और मूलचन्दजी के पुत्र राजमलजी सरदारमलजी तथा जसराजजी कई स्थानों पर हुकूमातें करते रहे । बतावरमलजी के पुत्र रघुनाथमलजी भी संवत् १९२५ में सोजत के हाकिम थे अभी इनके पुत्र जतनम जी बम्बई में व्यापार करते हैं । यह परिवार सोजत के ओसवाल समाज में बहुत बड़ी प्रतिष्ठा रखता है। मेहता पनराजजी के पास अपने परिवार के सम्बन्ध में बहुत रुक्के तथा प्राचीन चित्रों का संग्रह है। कोचर मेहता समरथरायजी का खानदान, जोधपुर हम ऊपर कोचरजी का वर्णन कर चुके हैं। इनके पश्चात् पांचवी पीढ़ी में कोचर झांझणजी हुए। इनके समय में यह परिवार गुजरात तथा फलोधी में रहता था इनके पुत्र बेलाजी हुए । 1880
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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