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________________ चील मेहता मेहता रामसिंहजी का घराना, उदयपुर इस परिवार का इतिहास बहुत पुराना है। इस परिवार में मेहता जालसी नामक एक बहुत प्रसिद्ध म्बकि हो गये हैं। वे तत्कालीन जालोर के राव मालदेव के बड़े विश्वास पात्र सेवक थे। जब कि चित्तोड़ पर रावल रतनसिंह राज्य करते थे उस समय मेवाड पर अलाउद्दीन ने चढ़ाई की और चित्तौड़ का किला हस्तगत कर लिया और अपने पुत्र खिजरखा को यहाँ का शासक नियुक्त कर वह वापस लौट गया । १० वर्ष पश्चात् सोनगरा मालदेव को विश्वास पात्र समझ कर खिजरखां इन्हें यहाँ का गवर्नर बना कर चला गया। इसी समय महाराणा हम्मीर अपने पैतृक राज्य को पुनः प्राप्त करने की लालसा में लगे हुए थे। उस समय जालसीजी मेहता द्वारा आपको बहुत सहायता मिली और आप चित्तौड़ का उद्धार करने में समर्थ हो सके। जालसी मेहता के पश्चात् मेहता चीलजी इस परिवार में बड़े नामांकित पुरुष हुए जिनका विशेष परिचय इसी ग्रन्थ के राजनैतिक और सैनिक महत्व नामक अध्याय में दिया जा चुका है। इन्हीं चीलजी मेहता की संताने चील मेहता कहलाई । वास्तव में आप लोगों का गौत्र भंडसाली है। . ___मेहता चीलजी के कई पुश्तों के पश्चात् १९ वीं शताद्वि के मध्य में इस परिवार में मेहता ऋषभ दासजी हुए। इनके पुत्र मेहता रामसिंह जी थे। मेहता रामसिंहजी बड़े होशियार, पराक्रमी, बुद्धिमान और चतुर राजनीतिज्ञ थे। आप कई बार मेवाड़ के प्रधान बनाये गये। आपने राज्य के हित के बहुत काम किये । आपको जागोर में गांव तथा सोना वगैरह इनायत किया गया था । आपका विशेष परिचय हम लोग इसी ग्रंथ के राजनैतिक और सैनिक महत्व नामक अध्याय में कर चुके हैं। ..... मेहता रामसिंहकी के वातावरसिंहजी, गोविन्दसिंहजी जालिमसिंहजी, इन्द्रसिंहजी तथा फतह. सिंहनी नामक ५ पुत्र हुए। ___संवत् १९०३ में मेहता रामसिंहजी अपने पांचों पुत्रों को लेकर व्यावर चले आये, और यहाँ संवत् १९१४ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके बड़े पुत्र वख्तावरसिंहजी आपके सामने ही गुजर गये थे। उनके नाम पर गोविंदसिंहजी के छोटे पुत्र कीर्तिसिंहजी दत्तक गये । इस समय इनके परिवार में जवरसिंहजी नामक एक बालक जोधपुर में विद्यमान हैं। मेहता रामसिंहजी के द्वितीय पुत्र गोविंदसिंहजी का परिवार ब्यावर में ही रहता रहा। इनके परिवार का विस्तृत परिचय नीचे दिया जा रहा है। इनके तीसरे पुत्र जालिमसिंहजी को संवत् १९१८ में १००
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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