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________________ पोसवाल जाति का इतिहास भआपके पुत्र भूरामलजी ने इसे विशेष चमकाया। भूरामलजी का जन्म लगभग संवत् १९२२ में हुआ। ये जयपुर, जोधपुर, बीकानेर आदि राजाओं, रईसों तथा जागीरदारों के यहाँ जवाहरात के तयारीमाल को विक्री करने में विशेष जुटे रहे। इसमें इन्होंने लाखों रुपये कमाये और कई मकानात, इमारतें बनवाई तथा खरीद की। जौहरीबाजार का लाल कटला भी आपने सम्बत् १९४२ में खरीदा। भाप यहाँ की ओसवाल समाज में बड़े प्रतिष्ठित पुरुष माने जाते थे। संवत् १९.७ में आप स्वर्गवासी हुए। सेठ भूरामलजी के पुत्र सेठ राजमलजी सुराणा का जन्म संवत् १९६४ में हुआ। आप विवेक शील तथा शान्त स्वभाव के सज्जन हैं। इस समय आप जयपुर की ओसवाल समाज में धनिक व्यक्ति माने जाते हैं। इस समय आपके यहाँ बैकिंग , जवाहरात तथा मकानों के किराये का काम होता है। आपकी जयपुर में बहुतसी इमारतें बनी हुई हैं। लाला गुलाबचन्द धन्नालाल सुराणा, आगरा आप श्वेताम्बर जैन स्थानकवासी भाम्नाय को मानने वाले हैं। इस खानदान का मूल निवास स्थान नागौर का है मगर करीब दो तीन सौ वर्षों से यह खानदान आगरे में निवास करता है। इस खानदान में लाला बुद्धाशाहजो हुए आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम क्रम से लाला चुनीलालजी और लाला मुबालालजी था। जिनमें यह खानदान लाला चुनीलालजी का है। लाला चुनीलालजी का स्वर्गवास संवत् १९१८ में हो गया। लाला चुनीलालजी के लाला गुलाबचन्दजी नामक पुत्र हुए, आपने इस खानदान के व्यवसाय, सम्पत्ति और इज्जत की खूब तरक्को दी । आप बड़े व्यापार कुशल और बुद्धिमान व्यक्ति थे। भापका स्वर्गवास संवत् १९८८ में हो गया। आपके दो पुत्र हुए। लाला धन्नालालजी और लाला बाबूलालजी । इनमें से लाला धन्नालालजी का स्वर्गवास संवत् १९४५ में हो गया। लाला बाबूलालजी का जन्म संवत् १९३९ का है । आपही इस समय इस खानदान के संचालक हैं। भाप बड़े सजन और बुद्धिमान व्यक्ति है। इस समय आपही इस फर्म के व्यवसाय को संचालित करते हैं । आपके दो पुत्र हैं जिनके नाम निर्मलचन्दजी और उदय वन्दजी हैं। आगरे के ओसवाल समाज में यह खानदान बहुत प्रतिष्ठित और अगण्य हैं । इस फर्म पर गोटा किनारी का पुश्तैनी व्यवसाय होता है। जिसके लिए फर्म को लार्ड चेम्सफोर्ड, लार्ड रीडिश, सार्ड इरविन, बंगाल गवर्नर, लार्ड लिटन आदि कई महानुभावों से प्रशंसापत्र मिले हैं। इस फर्म ने अपने वहाँ मशीनों से सोने चांदी की जंजीरों को बनाने का काम प्रारम्भ किया है। यह काम बहुत बड़े स्केल पर होता है। सेठ चन्दनमल मिश्रीमल सुराणा, पांढर कवड़ा (यवतमाल) जोधपुर स्टेट के कुचेरा नामक स्थान से सेठ उत्तमचन्दजी और उनके छोटे भाई चंदनमलजी म्यापार
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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