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________________ ओसवाल जाति का अभ्युदयं बुचा 'बुचों' से सोनारा, भंडलिया, दालीया, करमोत्, दालीया, रत्नपुरा, चोरड़िया चोरडियोंसे नाबरिया, सराफ, कामाणि, दुद्रोणि, सीपांणि, आसाणि, सहलोट्, लघु सोढाणी, देदाणि, रामपुरिया, लघुपारख, नागोरी, पाटणिया डाडोत्, ममइया, वोहरा, खजानची, सोनी, हाढेरा, दफतरी, चोधरी, तोलावत्. राय, जौहरी, गलाणि, इत्यादि इस प्रकार ८५ शाखाएँ आदित्यनाग गोत्र से निकली वह सब आई हैं । (१२) मूल गौत्र भूरि-भूरि, भटेवरा, उडक, सिंधि, चोधरी, हिरणा, मच्छा, बोकड़िया, बलोटा, बोसूदिया, पीतलिया, सिहावत्, जालोत, दोसाखा, लाडवा, हलदिया, नाचाणी, मुरदा, कोहारी, पाटोतिया इस प्रकार २० शाखाएँ भूरि गौत्र से निकली वह सब भाई हैं। (१३) मूल गौत्र भद्र — भद्र, समदडिया, हिंगड, जोगड, गिंगा, खपाटिया, खवहेरा, बालडा, मामाणि, भमराणि, देलडिया, संधी, सादावत्, भांडावत् चतुर, कोठारी, लघु समदड़िया लघु हिंगड, सांडा, चौधरी, भाटी, सुरपुरिया, पाटणिया, नांनेचा, गोगढ, कुलधरा, रामाणि नाथामत्, फूलगरा, इस प्रकार १९ शाखाएँ भद्र गौत्र से निकली वह सब भाई हैं । (१४) मूलगौत्र चिवट -- विघट, देसरडा, संघवी, ठाकुरा, गोसलांणि, खीमसरा, लघुचिंचट, पाचोरा, पुर्विया, मासाणिया, मौपोला, कोठारी, तारांवाल, लाडलखा, शाहा, आकतरा, पोसालिया, पूजारा, बनावत्, इस प्रकार १९ शाखाएँ चिंचटगोत्र से निकली वह सब भाई हैं। (१५) मूल गौत्र कुमट - कुमट काजलिया, घनंतरी, सुधा, जगाबत्, संघवी पुगलिया, कठोरिया कापुरीत, संभरिया, चोक्खा, सोनीगरा, लाहोरा, लाखाणी, मरवाणी, मोरचिया, छालिया, मालोत्, लघुकुंमट, नागोरी इस प्रकार १९ शाखाएँ कुंभगोत्र से निकली यह सब भाई हैं । (१६) मूलगौत्र डिंडू -- डिंडू, राजोत, सोसलाणि, धापा, धीरोत्, खंडिया, योद्धा, भाटिया, भंडारी, समदरिया, सिंधुडा, लालन, कोचर, दाखा, भीमावत्, पालणिया, सिखरिया, वांका, वडवडा, बादलिया, कानुंगा, एवं २१ शाखाएँ डिड् गौत्रसे निकली वह सब भाई हैं । (१७) मूलगौत्र कन्नोजिया - कन्नोजिया, वडभटा, रांकावाल, तोलिया, धाधलिया वेवरिया, गुंगलेचा, करवा, गढवाणि, करेलिया, राडा, मीठा भोपावत् जालोरी जमघोटा, पटवा, मुसलिया इस प्रकार १७ शाखाएँ कम्नोजिया गोत्रसे निकली यह सब भाई हैं । (१८) मूलगोत्र लघुश्रेष्टि - लघुश्रेष्टि, वर्धमान, भोभलिया, लुणेचा, बोहरा, पटवा, सिंधी, चितोडा, खजानची, पुनोत्, गोधरा, हाडा, कुबडिया, लुणा, मालेरिया, गोरेचा, इस प्रकार १६ शाखाएँ लघुश्रेष्ट गोत्र से निकली वह सब भाई हैं। ऊपर जिन शाखाओं का वर्णन किया गया है, उनमें कई ऐसी हैं जिनका नाम दो २ सीब. २
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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