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________________ सिंपकी-मलदोटा मुर्शिदाबाद का सिंपकी परिवार मुर्शिदाबाद के ओसवाल परिवारों में यहाँ का सिंघवी परिवार बहुत अग्रगण्य और प्रसिद्ध है। बल्कि यह कहना भी अत्युक्ति न होगी कि भारतवर्ष के चुने हुए ओसवाल परिवारों में यह भी एक है। पाटकों की जानकारी के लिये सब हम इस परिवार का संक्षिस विवरण नीचे लिख रहे हैं ऐसी किम्बदन्ति है कि संवत् ७०९ में रामसीण नामक नगर में श्री प्रयोतनसूरि महाराज ने पाहदेव को जैन धर्म का उपदेश देकर भावक बनाया । चाहददेव के पुत्र बालतदेव से बलदोटा गौत्र की स्थापना हुई। इन्होंने अपने नाम से बलदोटा नामक एक गाँव भावाद किया। इनके पुत्र भीमदेव के निशि और भरिसिंह के पुत्र जयसिंह और विमलसिंह हुए। मसिंह के पुत्र राणालगता इनके पुत्र भव्हा, इनके महिधर और महीधर के उदयचन्द नामक पुत्र हुए। - उदयचंद के तीन पुत्र हुए। श्रीखेताजी, नरसिंहजी और महीपरजी । इनमें से प्रथम पुत्र खेताजी ने संवत् १२५१ के साल ५१ मोहता ऊपर प्रधाना किया। दूसरे पुत्र नरसिंहजी बलदौटा ने इसी साक चित्तौड़गढ़ पर एक जैन मन्दिर बनवाया। इसकी प्रतिष्ठा श्री मानसिंहसूरि द्वारा करवाई गई। तीसरे पुत्र महीधरजी के पुत्रों में से चापड़देव एक थे। चापड़देव के पश्चात् इनके वंश में क्रमशः सरस कुँवर, भीमसिंह, जगसिंह, विनवसिंह बालदेव, विशालदेव, संसारदेव, देवराज और आसकरण हुए। भासकरण के पाँच पुत्रों में से भीलोजी एक थे। इनके बाद क्रमशः करमा, बरसिंह, नरा, देवसिंह और अरिसिंह हुए। अरिसिंह के कोई पुत्र न था। अतएव इन्होंने प्रतिज्ञा की कि यदि मेरे पुत्र हो जाय तो पात्रा. का एक संघ निकालू और उसमें एक लाख बत्तीस हजार रुपया सर्व काँ। इससे इनके बईमान नामक एक पुत्र हुना। प्रतिज्ञानुसार यात्रा की। साथ ही बावनी भी की। इसमें एक पिरोजी (मुहर ) एक भाल तथा एक लह लहान स्वरूप बॉटा । बलदौटा सिंघवी देवसिह के पुत्र काला और गोरा दोनों दुधड़ से चल कर किशनगद आये। सहा गोराजी के पुत्र दीताजी और दीवाजी पाजी हुए। - साहा रूपानी ने शगुंजय का एक बहुत बड़ा संघ संवत् १५०९ की बैशाख सुदी ३ को निकाला । जब यह संघमात्रामा हुवा दान चौकी के पास पहुंचा तो जीजॉन के बादमियों ने इसे रोका। यह
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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