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________________ प्रोतबाल जाति का इतिहास मात्री के हुकुम मिले। इससे शाम होत कि संवत् १८०० से १९०० तक इस परिवार का व्यापार उन्नति पथ पर था तथा मेड़ते के अच्छे समृदिशाली कुटुम्बों में इस परिवार की गणना थी। .. सिंघवी चांदमलजी के पुत्र धनरूपमलजी और चंदनमलजी के रिखबदासजी थे। रिखबदासजी, भजमेर वाले भगतिया कुटुम्ब के यहाँ मुनीम रहे तथा संवत् १९५९ में गुजरे। इनके मनसुखदासजी तथा कल्याणमलजी नामक दो पुत्र हुए। सिंघवी मनसुखदासजी, जोधपुर में लोड़ों के यहाँ खवाजी थे, इस समय इनके पुत्र शिखरचंदजी उम्मेदपुर में अध्यापक है। सिंघवी कल्याणमलजी का जन्म १९५१ में हुमा, भापके यहाँ इस समय लेन-देन का म्यवसाय होता है। सिंघवी हीराचन्दजी अनोपचन्दजी ( रायमलोत ) नागोर .... सिंघवी रावमलोत खानदान में सिंघवी साहमलजी हुए, इनको जोधपुर दरबार महाराजा भीमसिंहजी ने चेनार में २ कुचे और । बावड़ी की आमद बतौर जागीरी के इनायत की। इनके पुत्र शिवदासजी आगरा फौज की ओल में दिये गये और वहीं काम आये । आगरे में काम आने की वजह से जोधपुर दरवार ने इनको ९ खेत बागीरी में दिये, जो अभी तक इनके परिवार के पास है। सिंघवी साहमलजी के प्रपौत्र सिंघवी शिवदानमलजी नागोर के कोतवाल थे। _ सिंघवी साहमलजी के बाद क्रमशः श्रीचन्दजी, पेमराजजी, कपूरचंदजी, साहवचंदजी, पुनमचंदजी तथा मेहताबचन्दजी हुए । सिंघवी मेहताबचन्दजी के हीराचन्दजी अनोपचन्दनी केसरीचंदजी तथा कानचंदजी मामक " पुत्र हुए। हीराचन्दजी ५ सालों तक नागोर म्यु० के मैम्बर रहे। आप बहोरगत का व्यापार जाते हैं। सिंघवी अनोपचन्दनी वकालत करते हैं । तिषपी केंतरीचन्दजी बी० ए०, जोधपुर की तरफ से ९.जी. जी.यहाँ वकील थे। आप फलोदी, मेड़ता पाली और बाली के हाकिम भी रहे थे। इस समय भआपकी विधवा पत्नी को आपके नाम की पेंशन मिलती है। सिंघवी अनोपचन्दजीपुत्र सजनचन्दनी बी.ए.एल.एल.बी. जोधपुर में वकालत करते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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