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________________ सिंघवी सिंघवी धीरजमलजी - आप दीवान सिंघवी तसतमरूजी के पुत्र थे। इनको बैठने का पुरुष, हाँसल की माफी और सैर की चौहट नामक सम्मान प्राप्त हुए। जेतारण में आपको कुछ जागीर मिली जो अभी तक आपके वंशवालों के अधिकार में है। इन्होंने वहाँ धीरजमल की बावड़ी नामक एक बावड़ी तैयार करवाई। इनके पास खातासनी गाँव पट्टे था । पर इनको खास रुक्के दिये थे। इनके सेमी तथा सिस्मेकचन्दजी नामक पुत्र हुए। उदयपुर दरबार मे भी समय २ सिंघवी तेजमलजी तिलोकचन्दबी- तेजमलजी साँचोर माय परबतसर के हाकिम तथा बोधपुर किले पर मुसरफ रहे। आपके खारी (जोधपुर) और हूँगरवास (मेड़ता ) नामक गाँव जागीरी में रहे । सिंघवी तिलोकचन्दजी भी १९४० में पाली तथा १९५२ में फलोदी की हुकूमत करते रहे। सिंघवी तिलोकमलजी के सुमेरमलजी, हरस्रमलजी तथा गिरिधारीमलजी नामक ३ पुत्र हुये। इनमें से सिंघवी सुमेरमलजी महाराज मानसिंहजी के दफ्तर दरोगा और हाकिम रहे। सिंघवी सुमेरमलजी के पुत्र गम्भीरममी और उनके पुत्र मथमलजी हुए। नथमलजी के पुत्र मेरूमलजी दौलतपुरे में हाकिम रहे। इनके पुत्र रघुनाथमलजी जोधपुर स्टेट में सर्विस करते हैं। आपके पुत्र अचम्मलजी और मोतीमलजी हैं। इसी प्रकार इस खानदान में सिंघवी बखतमलजी के परिवार में छोटमरूजी, और गोविंदमी है, सिंघवी राजजी के परिवार में बहादुरमलजी वगैरा हैं और सिंघवी उम्मेदमलजी के कुटुम्ब में कस्थानमलची तथा जसवन्तमलजी हैं । सिंघवी कल्याणमलजी ( सुखमलोत) मेड़ता सिंघवी सुखमलजी तथा उनके पौत्र बस्तावर मटजी जोधपुर के दीवान रहे, उस समय इस परिवार मे अनेकों बहादुरी के कार्य किये, उनके पश्चात् सिंघी सवाईरामजी तक इस परिवार के पास कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है। सिंघवी सामजीदासजी के बाद क्रमशः भगोतीदासजी, मधाचंदजी और सवाईरामजी हुए। सवाईरामजी को जोधपुर दरबार महाराजा बिजयसिंहजी मे संवत् १८२३ की आसोज सुदी ८. के. दिन बणज व्यापार करने के लिये सायर के आधे महसूल की माफी के हुक्म दिये । सवाईरामजी के हुकुमचन्दजी, आलमचन्दजी, तथा अमरचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें आलमचन्दजी के सूरजमलनी और करणचंदजी नामक दो पुत्र थे। सिंघी करणमलजी के पुत्र हजारीमलजी, चांदमलजी तथा चंदनमलजी हुए। इनके समय में संवत् १८९९ की मगसर सुदी ७ को पुनः इस परिवार को आधे महसूल की 100
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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