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________________ राजनैतिक और सैनिक महत्व योग्यता एवम बुद्धिमानी से संचालित किया तथा किसानों के साथ पुरी २ सहानुभूति रक्खी । संवत् १९५६ में अकाल पड़ने से किसानों पर बहुत बकाया रहने लगा, तब आपने उनकी आर्थिकदशा का ख़याक करके उनको लाखों रुपयों की छूट दिलवाई। संवत् १९६१ में आप महकमा खास के प्रधान नियुक्त हुए । इस काम को भी आपने बड़ी बुद्धमानी के साथ संचालित किया । आपके पुत्र मेहता जगन्नाथसिजी भी बड़े बुद्धिमान सज्जन हैं। आपके पिता मेहता भोपालसिहजी का स्वर्गवास हो जाने पर महाराणा साहब ने आपको अपनी पेशी का काम सिपुर्द किया। उसके पश्चात् संवत् १९७१ में आपको तथा पं० शुकदेवप्रसादजी को महकमा खास के प्रधान बनाए । जब संवत् १९७५ में पंडितजी जोधपुर चले गये तब आप ही अकेले महकमा खास का काम करते रहे। उसके पश्चात् संवत् १९७७ में लाला दामोदरलालजी पं० शुकदेवप्रसादजी के स्थान पर आये । संवत् १९७८ तक आप दोनों ही महकमा खास का काम करते रहे। वर्तमान में भाप मेम्बर कौंसिल और कोर्ट भाफ़ वार्डस के आफ़िसर है । कोठारी बलवन्तसिंहजी आप कोठारी केसरीसिंहजी के दत्तक पुत्र हैं। संवत् १९३८ में आपको महाराणा साहब ने महकमा देवस्थान का हाकिम मुकर्रर किया । फिर संवत् १९४५ में आप महाराणा फतेसिंहजी द्वारा महद्वाज सभा के Here aनाये गये तथा सम्मानार्थ आपको सोने के लंगर भी इनायत किये गये। इसके पश्चात् इन्हें रावली दुकान (State Bank) का काम दिया गया। राय मेहता पन्नालालजी के इस्तीफ़ा देने पर महकमा are का काम आपके तथा सही वाले अर्जुनसिंहजी के सिपुर्द किया। जब इन दोनों ने संवत् १९६८ में अपने पद से इस्तीफ़ा पेश कर दिया तब यह काम मेहता भोपालसिंहजी और पंचोली हीरालालजी को मिला। इन दोनों का स्वर्गवास हो जाने पर यह काम फिर से संवत् १९६९ में आपही को मिला, जिसे आप तीन वर्ष तक करते रहे। इसी प्रकार महकमा देवस्थान तथा टकसाल का काम भी बहुत वर्षों तक आपके हाथ में रहा। इन सब काय्यों को आप अवैतनिक रूप से करते रहे। इस प्रकार राज्य के और भी बहुत से भिन्न २ महकमों में कुशलता और राजनीतिज्ञता से आप सेवा करते रहे। आपके पुत्र गिरधारीसिंहजी इस समय हाकिम देवस्थान हैं। कोठारी मोतीसिंहजी आप कोठारी राय छगनलालजी के यहां दसक आये । आपको पहले पहल महाराणा साहब ने अफ़सर खजाना टकसाल, और स्टाम्प मुकर्रर फरमाया और कंठी, सिरोपाव तथा दरवार में बैठक इनायत १३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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