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________________ ओसवाल जाति का इतिहास के ओहदे पर नहीं रहे फिर भी उदयपुर के राजकीय वातावरण में आपका बहुत अच्छा प्रभाव रहा है। आप यहाँ की महद्राज सभा के मेम्बर हैं। दिल्ली के अंतर्गत् देशी रियासतों का प्रश्न हल करने के लिए बटलर कमेटी के सम्बन्ध में जो बैठक हुई थी उसमें चेम्बर आफ प्रिसेंस की तरफ से स्पेशल अर्गेनिझेशन का एक आफिस खुला था। उसमें राज्य की ओर से जो कागजात् भेजे गये, उन्हें महाराणा साहब की आज्ञानुसार आप ही ने तैय्यार किये तथा उन्हें लेकर आप ही देहली भेजे गये। इसी प्रकार और भी राजनैतिक बातों में स्टेट में आपका अच्छा प्रभाव है। सिंघी बछराजाजी आपका जन्म जोधपुर के सिंघी इन्द्रराजजी के भाई के खानदान में संवत् १९०५ में हुआ । महाराजा जसवंतसिंहजी (जोधपुर) के आप बड़े कृपा पात्र रहे । आपने संवत् १९४६ से संवत् १९५६ तक जोधपुर में बक्षीगिरी ( Commander-in-Chief ) का कार्य किया और वहाँ की स्टेट कौन्सिल के मेम्बर रहे। सिंघवी भीमराजोत खानदान में आपने अच्छा नाम और सन्मान पाया। मुत्सुहियों के अंतिम समय में इन्होंने कई स्थानों पर अपनी बहादुर प्रकृति का अच्छा परिचय दिया । संवत् १९५६ में आपको कई भीतरी कारणों की वजह से जोधपुर से उदयपुर आना पड़ा । यहाँ रियासत ने आपका बहुत सम्मान किया और १०००) एक हजार रुपया मासिक उनके हाथ खर्चे के लिये देकर उन्हें सम्मान पूर्वक यहाँ रखा । संवत् १९६८ में आप वापस जोधपुर बुलाए गये । उस समय महाराणा फतेसिंह जी ने बछराजजी की दावत स्वीकार की और रवाना होते समय दोनों पैरों में सोना बक्षा । जोधपुर में आपको अंतिम समय तक ६००) मासिक पेंशन मिलती रही। मेहता भोपालसिंहजी जगन्नाथसिंहजी मेहता भोपालसिंहजी भी उदयपुर के ओसवाल मुत्सुदियों में बड़े प्रतिभाशाली व्यक्ति हुए । आप केवल १८ वर्ष की अवस्था में राशमी जिले के हाकिम नियुक्त हुए । इसी समय मेवाड़ राज्य में सेटलमेंट का नया काम जारी किया गया जिसके खिलाफ राशमी जिले के किसानों और जाटों ने बहुत ज़ोरों का आन्दो. लन उठाया और उपद्रव करना प्रारंभ किया । इस समय आपने बहुत बुद्धिमानी से उन लोगों को समझाया तथा सेटलमेंट का कार्य शांति पूर्वक करवाने में बहुत मदद दी । वहाँ से बदल कर आप मांडल जिले में गये । वहाँ जाकर आपने वहाँ की आमदनी को बहुत बढ़ाया। इससे प्रसन्न होकर महाराणा फतेसिंहजी ने आपको बैठक बक्षी । संवत् १९४६ में आप रेव्हेन्यू सेटलमेंट आफिसर नियुक्त किये गये। उस कार्य को आपने बहुत
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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