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________________ बागमार, कुचरिया और हड़िया बागमार सेठ जगन्नाथ नथमल बागमार, बागलकोट पिताजी ने इस परिवार का मूल निवास ळूणसरा ( कुचेरा के पास ) ओधपुर स्टेट है। इस परिवार के पूर्वज सेठ रिदमलजी बागमार के पुत्र सेठ थानमलजी बागमार संवत् - १९३२ में बागलकोट आये, तथा, भागीदारी में रेशमी सूत का व्यापार शुरू किया । आप संवत् १९०८ में स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र सेठ जगनाथजी बागमार का जन्म संवत् १९३५ में हुआ । आपने तथा आपके इस दुकान के व्यापार तथा सम्मान को बढ़ाया । आप कपड़ा एसोशिएसन के अध्यक्ष हैं। बागलकोट के व्यापारिक समाज में आपकी दुकान प्रतिष्ठित मानी जाती है। सेठ जगन्नाथजी के पुत्र नथमलजी का जन्म संवत् १९६१ में हुआ। आप फर्म के व्यापार को तत्परता से सम्हालते हैं। आपके पुत्र हेमराजर्जी, पूनमचन्दजी, हंसराजजी, तथा केवलचन्दजी हैं। आपके यहाँ बागलकोट में सूती कपड़े का व्यापार होता है । कुचेरिया सेठ खींवराज अभयराज कुचेरिया, धूलिया यह परिवार बोराबद ( जोधपुर स्टेट ) का निवासी है। देश से सेठ गोपालजी कुचेरिया संवत् १९10 में व्यापार के लिये धूलिया आये । आप संवत् १९५० में स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र अभयराजजी ने व्यवसाय को उन्नति दी। आप भी संवत् १९५८ में स्वर्गवासी हुए । आपके खींवराजजी तथा मोतीलालजी नामक २ पुत्र हुए, इनमें खींवराजजी विद्यमान हैं। कुचेरिया खींवराजजी का जन्म संवत् १९३८ में हुआ | आपने १९६० में रुई अनाज और किराने की दुकान की । तथा इस व्यापार में अच्छी सम्पत्ति और प्रतिष्ठा प्राप्त की । आप स्थानकवासी आम्नाय के मानने वाले हैं, तथा धार्मिक कामों में सहयोग लेते रहते हैं आपके पुत्र नेमीचन्दजी तथा बरदीचन्दजी व्यापार में सहयोग लेते हैं । हड़िया सेठ दलीचंद मूलचंद हड़िया, बलारी यह परिवार सीवाणा ( मारवाड़) का निवासी है। वहाँ से सेठ दलीचन्दजी अपने भ्राता शुश्री को साथ लेकर संवत् १९३० में बलारी आये । तथा मोती की फेरी लगाकर दस पन्द्रह हजार रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित की, और संवत् १९४४ में "दुलीचंद झूठाजी" के नाम से कपड़े का कारवार शुरू किया । आप दोनों बंधु क्रमशः संवत् १९६५ तथा १९६० में स्वर्गवासी हुए 1 आप दोनों बन्धुओं ने मिलकर लगभग ३ लाख रुपयों की सम्पत्ति इस व्यापार में कमाई । सेठ मूलचन्दजी तथा आसूरामजी नामक ३ पुत्र हुए। सेठ रघुनाथमलजी, यह दुकान ऊपर के नाम से व्यापार कर रही है। इन तीनों भाइयों के दकीचन्दजी के रघुनाथमलजी, १२३ ६५७ १९७७ में गुजरे । इनके बाद नाम पर श्री छोगालालजी दत्तक
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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