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________________ ओसवाल जाति का इतिहास हैं। आपके पुत्र सम्पतराजजी हैं। सीवाणची में यह परिवार बड़ा नामी माना जाता है। आप, स्थानकवासी आम्नाय के मानने वाले सज्जन हैं। इस फर्म में सीवाणा निवासी कई सज्जनों के भाग हैं। इसी तरह अन्य स्थानों के भी भागीदार हैं। धोका - सेठ बहादुरमल सूरजमल, धोका यादगिरी (निजाम) इस कुटुम्ब का मूल निवास स्थान साथीण (पीपाड़ के पास ) है। आप श्वे. जैन समाज के स्थानक वासी आम्नाय के मानने वाले सजन हैं। सेठ जीतमलजी के पुत्र बालचन्दजी धोका देश से संवत् १९४१ में यादगिरी आये तथा आपने कपड़े का काम काज शुरू किया। आपका संवत् १९५० में स्वर्गवास हुआ। आपके नवलमलजी, बहादुरमलजी तथा सूरजमलजी नामक ३ पुत्र हुए। सेठ नवलमलजी धोका के हाथों से इस दुकान के रोजगार और इजत को बहत तरकी मिली। आपका स्वर्गवास संवत १९८५ में तथा बहादुरमलजी संवत् १९६१ में हुआ। इस समय इस परिवार में सेठ सूरजमलजी सेठ नवलमलनी के दत्तक पुत्र हीरालालजी, बहादुरमलजी के दत्तक पुत्र किशनलालजी तथा सूरजमलजी के दत्तक पुत्र लालचन्दजो मोजूद हैं। सेठ सूरजमलजी का जन्म संवत् १९३४ में हुआ। आप ही इस समय इस परिवार में बड़े हैं। तथा दान धर्म के कामों की ओर आपकी अच्छी रुचि है। आपकी दुकान यादगिरी की मातबर दुकानों में है । आपके यहाँ "बहादुरमल सूरजमल" के नाम से आढ़त सराफी लेन-देन का काम काज होता है। हीरालालजी के पुत्र पूरनमलजी तथा मदनलालजी हैं। परिशिष्ट. सेठ हरचन्दरायजी मुराणा का खानदान, चुरू इस खानदान का मूल निवास स्थान नागौर (मारवाड़) का था। वहाँ से इस परिवार के पूर्व पुरुष सेठ सुखमलजी चूरू आकर बस गये। तभी से आपके परिवार के सज्जन, चूरू में ही निवास कर रहे हैं। आपके बालचन्दजी, चौथमलजी तथा हरचन्दरायजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें यह बानदान सेठ हरचन्दरायजी से सम्बन्ध रखता है। सेठ हरचन्दरायजी-आप बड़े सीधे सादे, मिलनसार एवं धार्मिक वृत्ति के महानुभाव थे। आप देश में ही रह कर साधारण व्यापार करते रहें। आपका स्वर्गवास होगया है। आपके उगरचन्दजी, रतीरामजी मुन्नालालजी एवं शोभाचन्दजी नामक.चार पुत्र हुए। जिन खानदानों का परिचय भूल से छपना रह गया, या जिनका परिचय पुस्तक छपने के पश्चात् प्राप्त हुआ. उन परिवारों का परिचय "परिशिष्ट" में दिया जा रहा है। ६५८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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