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________________ प्रोसबाल जाति का इतिहास निवास करते थे। आपके कस्तमलजी. हजारीमलजी व जीरामलजी तथा वख्तावामलजी नामक पुत्र हुए। हजारीमलजी रीयों के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । आपके गाढ़मलगी तथा छोगमलजी नामक २ पुत्र हुए । देश से व्यापार के लिए सेठ छोगमलजी संवत् १९३० में गुलवर्गा आये। आपके आने के बाद दो दो साल के अन्तर से आपके पुत्र चन्नीलालजी तथा हीरालालजी भी यहाँ आगये.नथा छोगमल चन्नीलाल के नाम से व्यापार शुरू किया। संवत् १९६८ में इन दोनों भाइयों का व्यापार अलग २ हो गया। संवत् १९७७ में सेठ छोगमलजी तथा संवत् १९८४ में सेठ चुन्नीलालजी स्वर्गवासी हुए। इनके नाम पर मारवाड़ से गुलाब. चन्दजी दत्तक आये हैं। इनके यहाँ "चुन्नीलाल गुलाबचन्द' के नाम से सराफी व्यापार होता है। सेठ हीरालालजी भलगट-आपका संवत् १९३१ में जन्म हुआ। आपने कपड़े के व्यापार में अच्छी सम्पत्ति पैदा की। तथा गुलवर्गा के व्यापारिक समाज में अपनी प्रतिष्टा को बढ़या । आपकी यहाँ ३ दुकाने सफलता के साथ कपड़े का व्यापार कर रहीं हैं। तथा गुलबर्गा की दुकानों में मातवर मानी जाती हैं । गुलवर्गा स्टेशन रोड पर आएका महावीर भवन नामक सुन्दर बंगला बना हुआ है। इसी तरह आपके और भी कई मकानात बंगले आदि हैं। सार्वजनिक तथा धार्मिक कार्यों में भी आप अच्छो सम्पत्ति व्यय करते हैं। आपके नाम पर मोतीलालजी बूसी (जोधपुर स्टेट) से दत्तक आये हैं। इनकी वय ३० साल की है। आपभी तत्परता से अपने कपड़े के व्यापार को सह्यालते हैं। इनके पुत्र शांतिलालजी २ साल के हैं। इसी तरह इस खानदान में सेठ वजीरामलजी के छोटे पुत्र किशनराजजी तथा उन के भतीजे पेमराजजी और धनराजजी कान गाँव (वर्धा) में व्यापार करते हैं। मुदरेचा (कोहरा) सेठ सूरजमल दूलहराज मुदरेचा (बोहरा), कोलार गोल्ड फोल्ड इस परिवार की उत्पत्ति चौहान राजपूतों से हुई । इस कुटुम्ब का मूल निवास स्थान ब्यावर राजपूताना है । आप जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी आम्नाय के माननेवाले सजन हैं। सेठ छोगमलजी मुदरेचा अपने बड़े पुत्र सूरजमलजी के साथ सम्बत् १९५२ में बूटी से बंगलोर आए, तथा यहाँ सेठ “बख्तावरमल रूपराज" मूथा के यहाँ ६ सालों तक सर्विस की। इसके बाद सम्बत् १९५९ में सेठ “हजारीमल बनराज" मूथा की भागीदारी में बंगलोर में एक दुकान की। इसके २ वर्ष बाद कोलार गोल्ड फील्ड में आपने अपनी स्वतंत्र दुकान खोली। मुदरेचा सूरजमलजी का जन्म सम्वत् १९४६ में हुआ। आप सज्जन तथा व्यापार कुशल व्यक्ति हैं। आप कोलार गोल्ड फील्ड में "सूरजमल दूलहराज" के नाम से बेकिंग व्यापार करते हैं। आपके छोटे भाई श्रीयुत दुलहराजजी का जन्म सम्वत् १९४६ में तथा श्री हरकचन्दजी का सं० १९४८ में हुआ । इन बन्धुओं का व्यापार बंगलोर हलसूर बाजार में "सूरजमल दूलहराज" तथा "छोगमल सूरजमल" के नाम से होता है । आप दोनों बन्धु सजन व्यक्ति हैं। मुदरेचा सूरजमलजी के पुत्र रतनलालजी २० साल के हैं, तथा व्यापार में भाग लेते हैं। इनसे छोटे हीरालालजी तथा पन्नालालजी बालक हैं। इसी तरह हरकचन्दजी के पुत्र मोहनलालजी १४ साल के हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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