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________________ बैताला तया शेष धनराजजी और माणकलालजी बालक है। इस परिवार की ओर से बूंटी में गायों की सुविधा के लिये एक बावड़ी तथा खेड़ी कोटा बनवाया गया है। आप शिक्षा के लिये ५००) सालियाना स्कूलों को देते हैं। कोलार गोल्ड फील्ड तथा बंगलोर के ओसवाल समाज में इस परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा है। बैताला सेठ अमरचन्द माणकचन्द बैताला, मद्रास यह खानदान मूल निवासी रे (मारवाड़) का है। मगर इस समय यह खानदान नागौर में रहता है। आप मन्दिर मानाय को माननेवाले सजन हैं । इस सानदान में सेठ बालचन्दजी हुए । मापने आसाम में जाकर अपनी फर्म स्थापित की। आपके पुत्र अमरचन्दजी का स्वर्गवास सम्वत् १९.४ में हमा। - बैताला अमरचन्दजी के कोई पुत्र न होने से आपके नाम पर माणिकचन्दजी बैतालो सम्बत् १९०६ में दत्तक लिये गये। भापका जन्म सम्बत् १९६५ का है। आप सम्वत् १९८० में मद्रास पाये भौर काम सीखने के लिये सेठ बहादुरमलजी समदरिया के पास रहे। उसके पश्चात् मापने अमरचन्दजी बोथरा के हिस्से में ममी लेण्डिग और ज्वैलरी का व्यापार शुरू किया। उसके बाद सम्वत् १९८० से आपने अपना स्वतंत्र व्यापार शुरू कर दिया । इस समय भाप मद्रास में डायमण्ड और ज्वैलरी का व्यापार करते हैं। आपने अपनी बुद्धिमानी से व्यापार में अच्छी तरकी की है। सेठ घासीराम बच्छराज बैताला, बागल कोट ... इस परिवार का मूल निवास स्थान सोवणा (नागोर) है। यह परिवार स्थानकवासी आनाम का माननेवाला है। इस परिवार के पूर्वज सेठ जेठमलजी बैताला मारवाड़ में रहते थे। इनके बख्तावरमलजी, कस्तूरचन्दजी तथा छोगमलजी नामक ३ पुत्र हुए। इन बंधुओं में सेठ बख्तावरमलजी बैताला १०० साल पूर्व पैदल रास्ते से महाड़ बन्दर होते हुए बागलकोट आये। तथा "जेठमल बख्तावरमल" के नाम से कपड़े का व्यापार शुरू किया। आपने पीछे से अपने भाइयों को भी बागलकोट बुला लिया। आपके छोटे भाई छोगमलजी का सम्वत् १९४३ में स्वर्गवास हुआ। आपके घासीमलजी चंदूलालजी, हीरालालजी तथा किशनलालजी नामक.४ पुत्र हुए। इनमें किशनलालजी संवत् १९८६ में स्वर्गवासी हो गये। तथा सेठ हीरालालजी, करतूरचन्दजी के नाम पर दत्तक गये। सेठ घासीलालजी का जन्म सम्वत् १९४२ में हआ। आपने सेठ "गणेशदास गंगाविशन" की भागीदारी में सम्बत् १९६५ से वेजवाड़ा तथा बागलकोट में आढ़त की फर्म खोली है। तथा भाप बागलकोटके व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित व्यापारी माने जाते हैं। आपके पुत्र बच्छराजजी तथा जसराजजी व्यापार में भाग लेते हैं। तथा मलचन्द, तेजमल और मेघराज छोटे हैं। इसी प्रकार से सेठ चंदूलालजी, "जेठमल वस्लावरमल" के नाम से कपड़े का व्यापार करते हैं। इनके पुत्र भीमराजजी हैं । हीरालालजी के पुत्र जोरावरमकजी तथा किशनलालजी के पुत्र चम्पालालजी सराफी व्यापार करते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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