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________________ तांतर वासी सभा की व्यवस्थापक कमेटी के मेम्बर हैं । अमृतसर के मोसवाल समाज में आपका खानदान नामी है। आपके पुत्र मनोहरलालजी, रोशनलालजी, तिलकचन्दजी तथा धर्मपालजी हैं। इनमें लाला मनोहरलाल जी ने एफ. ए.का इम्तहान दिया है। शेष सब पढ़ते हैं। काला मोतीलालजीके पुन शादीलालजी इंटर में पढ़ते हैं। तथा छोटे मदनलालजी तथा जितेन्द्रनाथजी हैं। इसी तरह लाला भीममसेनजी के पुत्र करतूरीमलजी तथा हंसराजजी के पुत्र राजपालजी तथा सतपालजी हैं। लाला मस्तरामजी एम० ए० एल० एल० बी० तांतेड़े अमृतसर इस खानदान के पूर्वज लाला शिवदयालजी अपने खास निवास लाहौर से कांगड़ा, होशियारपुर के जिलों में गये, वहाँ आप एक्साइज के कंट्राक्ट का काम करते थे। भाप लगभग ५० साल पूर्व स्वर्गवासी हुए। आपके लाला मिलखीमलजी, लाला लछमणदासजी, तथा लाला नन्दलालजी नामक पुत्र विद्यमान हैं। काला लछमणदासजी को उनके चाचा लाला महताबसाहजी ७ वर्ष की आयु में लाहोर के भाये. पीछे से इनके छोटे भाई भी अमृतसर आ गये। लाला लछमणदासजी इस समय आदत का काम करते हैं। आपने मेट्रिक तक शिक्षा पाई है। आपके पुत्र खाला मस्तरामजी हैं। बाला मस्तरामजी-भापका जन्म संमत् १९५८ में हुआ। माप सन् १९२१ में बी.ए. ऑनर्स, सन् १९९४ में एम० ए० तथा १९२६ में एल० एल० बी० पास हुए। सन् १९९९ में आप हिन्दू कॉलेज में एकॉनामिक प्रोफेसर हुए। इसके अलावा आप यहाँ वकालत भी करते हैं । आपने सन् १९२२ में काला बाबूरामजी तथा मोतीशाहजी के सहयोग से लाहौर में जैन एसोशिएसन नामक संस्था स्थापित की थी। इसके अलावा आप अमर जैन होस्टल के सुपरिण्टेण्डेण्ट तथा "आफताब जैन" के एडीटर भी रहे थे। इस समय आप स्थानकवासी जैन सभा पंजाब, ऑल इण्डिया स्थानकवासी सभा, एस. एस. यूथ कान्फ्रेस, तथा अमृतसर की लोकल स्था० सभा की प्रबन्ध कारिणी कमेटी के मेम्बर और श्रीराम आश्रम हाईस्कूल की मैनेजिंग कॉसिल तथा बोर्ड ऑफ ट्रस्ट्रीज के मेम्बर हैं। तथा पब्लिक वेल फेअर लीग के प्रेसिडेण्ट हैं। कहने का मतलब यह कि आप यहां के जैन समाज में अग्रगण्य म्वक्ति हैं। हाला मिलखीमलजी के बड़े पुत्र हंसराजजी आदत का काम करते हैं। तथा छोटे लाला देसराज जी एफ० ए० दो साल पहिले स्वर्गवासी हो गये हैं। . लाला दुनीचंद प्यारेलाल जैन-तातेड़, अमृतसर यह परिवार सो सवासो वर्ष पूर्व लाहोर से अमृतसर आया यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का मानने वाला है। इस परिवार के पूर्वज लाला कन्हैयालालजी के लाला कसूरियामलजी, छज्जूमलजी आदि ११ पुत्र थे। लाला कसूरियामलजी नामी जौहरो थे । लाला छज्जूमलजी धार्मिक प्रवृत्ति के के व्यक्ति थे। आपका संवत् १९४९ में स्वर्गवास हुआ। आपके लाला चुमीलालजी, दुनीचन्दजी और प्रभुदयालजी नामक ३ पुत्र हुए। लाला चुन्नीलालजी के पुत्र देवीचंदजी, नगीनालालजी तथा बाबूरामजी अमृतसर में स्वतन्त्र व्यापार करते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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