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________________ श्रो सवाल जाति का इतिहास इन्शुरंस कम्पनी लि. के डायरेक्टर हैं। आप अछूतोद्धार और विद्या प्रचार के कामों में बहुत भाग लेते हैं । आपके छोटे भाई सूरतरामजी कॉलेज में तथा दीपचन्दजी हॉई स्कूल में पढ़ते हैं । लाला मित्रसेनजी के बड़े पुत्र श्रमीचन्दजी - आपका जन्म संवत् १९४२ का है । आप पहले यहाँ के म्युनिसीपल कमिश्नर रह चुके हैं। आपकी यहाँ पर बहुत बड़ी जमीदारी है। आपके रिखबदासजी, रोशनलालजी अमरनाथजी नामक तीन पुत्र हैं। छाला बसंतालालजी ने अपने भाई लाला पन्नालालजी की मदद से सिद्वौरामें एक विशाल जैन मन्दिर बनवाया । यह खानदान यहाँ बड़ा प्रष्टित और रईस माना जाता है। लाला चेतराम नराताराम मुनिहानी, जुगरावाँ ( पंजाब ) यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का मानने वाला है। इस खानदान के पुरुष लाला चेतराम जी के यहाँ लम्बे समय से पसारी का होता आया है । आपका स्वर्गवास हो गया है । आपके लाला नरात मरामजी तथा मुनीलालजी नामक २ पुत्र विद्यमान हैं । आप दोनों भाई अच्छे कामों में सहायता देते रहते हैं । लाला नरातारामजी के यहाँ चेतराम नरातमराम के नाम से पसारी का व्यापार होता है । लाला मुनीलालजी जैन प्रचारक सभा के खजाञ्ची हैं । भाप गुरुकुल में बारी देते हैं । आपके यहाँ जानकीराम बालकराम के नाम से बिसाती का व्यापार होता है । तातेड़ लाला मुन्नीलोल मोतीलाल ताँतेड़, अमृतसर इस परिवार का खास निवास लाहौर है । वहाँ से ७५ साल पहिले लाला मेलुमलजी अमृतसर आये । यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का मानने वाला है। लाला मेलूमलजी ने जनरल मर्चेंटाइज़ के व्यापार में अच्छी सफलता प्राप्त की । आपके पुत्र लाला माहताब शाहजी का जन्म करीब संवत् १९०३ -४ में हुआ। अमृतसर के ओसवाल समाज में आप प्रतिष्ठिवान सज्जन थे । जाति विरादरी के कामों में आपकी सलाह वजनदार मानी जाती थी । आपने अपने व्यापार को बहुत उन्नति पर पहुँचाया। संवत् १९५९ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके लाला मुन्नीलालजी, लाला मोतीलालजी लाला भीमसेनजी तथा लाला हंसराजजी नामक ४ पुत्र हुए । लाला मुनीलालजी, मोतीलालजी - आपका जन्म क्रमशः संवत् १९४७ तथा संवत् १९४९ में हुआ | आपने अपने व्यापार को काफी तरक्की पर पहुँचाया है। आपके दोनों छोटे भाई भी व्यापार में आपके साथ भाग लेते हैं । आपने अमृतसर में अपनी ३ ब्राचें फैंसी कपड़ा, होयजरी तथा मनिहारी के थोक व्यवसाय के लिए खोली हैं । आप बिलायत से डायरेक्टर कपड़े का इम्पोर्ट करते हैं। छाला रतनचन्द हरजसराय की गोल्डशाखा में आप भागीदार हैं। लाला मुनीलालजी श्री सोहनलाल जैन अनाथालय के कोषाव्यक्ष हैं। तथा धार्मिक और जातीय कामों में दिलचस्पी लेते रहते हैं। आप स्थानक - ६०८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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