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________________ मनिहानी बाला दीपचन्दजी को छोड़ कर शेष सब भाई सम्मिलित काम काज करते हैं। मोतीलालजी स्थानीय जैन कन्या पाठशाला के संरक्षक ( Patron) तथा इसकी कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। लाला मुंघीलालजी प्रायः सभी सार्वजनिक कामों में भाग लेते रहते हैं। भाप वर्तमान में महावीर जैन कायरी की एकनीक्यूटिव के मेम्बर, डिस्ट्रिक्ट परवारी तथा Life Associate of red cross society हैं। लाला मोतीलालजी के जंगीलालजी, मनोहरलालजो, शादीलालजी, कपूरचन्दजी एवम् छोटेलालजी नामक पांच पुत्र हैं, खाना पचालालजी के शांतिलालजी चेनलालजी, देवराजजी एवम् विमलकुमार जी नामक चार पुत्र हुए, लाला मुन्शीरामजी के कुनणराजजी एवम् परतमनलालजी नामक दो पुत्र हैं । लाला हीरालालजी के दर्शनकुमारजी तथा सुदीशकुमार जी और लाला हंसराजजी के बच्छराजजो, जगमोहनजी एवम् बाबूलालजी नामक पुत्र हैं। यह परिवार सियालकोट की बोसशल समाज में बड़ा प्रतिष्ठित माना जाता है। इस परिवार की सियालकोट में मेसर्स सावनशाह मोलीशाह के नाम से प्रधान फर्म तथा इसी की यहीं पर दो शाखाएँ है। इन सब फर्मों पर सराफी तथा बैकिंग व्यापार होता है। . श्री हंसराजजी मनिहानी का खानदान सिवोरा (पंजाब) इस खानदान का मूल निवासस्थान सिरसा (हिसार) का है। वहाँ से उठ कर यह खानदान सिनौरा ( अम्बाला ) में आकर करीब सात आठ पावाद हमा। यह परिवार जैन श्वेताम्बर मार्गीय आम्नाय का मानने वाला है। इस परिवार में लाला जौंकीमलजी. दयारामजी और मौजीरामजी नामक तीन भाई थे। लाला मौजीरामजी बड़े वहादुर, दिलेरजंग और पराक्रमो थे। आपने कई छड़ाइयें लदी थी । लाला जोकीमलजी के लाला श्यामलालजी नामक एक पुत्र हुए । आपने इस खानदान की जमीदारी और नाम को बढ़ाया। आपके लाला नेमदासजी और लाला नेमदासजी के हीरालालजी,चढ़नी. मलजी और हाकमरायजी नामक पुत्र हुए । इस खानदान में लाला चढ़तीमलजो और हाकमरायजी बड़े मशहूर व्यक्ति हो गये हैं । आपने अपनी ज़मीदारी और इज्जत को बढ़ाया । लाला हाकमरायजी करीब ३० वर्षों तक म्युनिसीपल कमिश्भर रहे । चढ़तीमजी के पसंतामलजी और मित्रसेनजी नामक दो पुत्र हुए। . लाला बसंतामलजी के लाला मुकुन्दीलालजी नामक पुत्र हुए। लाला मुकुन्दीलालजी-आपका जन्म संवत् १९३७ में हुआ। आपने जैन हाई स्कूल अम्बाला तथा हस्तिनापुर तीर्थ स्थान की धर्मशाला में एक एक कमरा बनवाय । आपके हंसराजजी, लाला सूरजमलजी तथा लाला दीपचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए। लाला मुकुन्दीलालजी का स्वर्गवास सन् १९२६ में हो गया है। ___लाला हंसराजजी-आपका जन्म संवत् १९५९ में हुभा । आप सिद्वौरा के प्रतिष्ठित रईस हैं। आप यहाँ की स्थानीय म्युनिसीपलिटी के व्हाइस चेअरमेन; यहाँ के हिंदी हॉई स्कूक तया हिन्दू गल्स स्कूल के भानरेरी सेक्रेटरी रहे हैं। आप यहाँ की गवर्नमेंट में डिस्ट्रक्ट दरवारी हैं तथा शक्ति
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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