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________________ ओसवाल जाति का इतिहास नामी समझी जाती है। आपके पुत्र प्यारेलालजी B.A. में पढ़ते हैं तथा दूसरे हीरालालजी तिजारत में हिस्सा लेते हैं। यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का है। . ___ लाला निहालशाहजी के हजारीशाहजी, करमचंदजी तथा धनपतचंदजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें करमचन्दशाहजी मौजूद हैं। आप सराफी तथा साहुकारे का काम करते हैं। आपके पुत्र बनारसी दासजी तथा कस्तूरीलालजी हैं। लाला हजारीशाहजी के पुत्र नानकचंदजी तथा धनपतचंदजी के पुत्र कपूरचंदजी तिजारत करते हैं। नानकचन्दजी के पुत्र किशोरीलालजी तथा शादीलालजी हैं। लाला मय्यालाल काशीशाह लिगे, रावलपिंडी इस खानदान के बुजुर्ग लाला जीवाशाहजी ने ६० साल पहिले कपड़े का रोजगार शुरू किया। आप जैन बिरादरी के चौधरी थे। इनके मव्याशाहजी तथा गोबिन्दशाहजी नामक दो पुत्र हुए । मण्याशाहजी संवत् १९६१ में स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र लाला काशोशाहजी मौजूद हैं। आप जाति सेवा के कामों में बड़ी दिलचस्पी लेते हैं। जैन यंगमैन एसोसिएशन, बालंटियर कोर और जैन प्रकाश सभा में आप प्रधान हैं। अजमेर साधु सम्मेलन के समय आपने मृत्याग्रह किया था। आप रावलपिंडी गौशाला की व्यवस्थापक कमेटी के मेम्बर हैं। आपके यहाँ कपड़े का व्यापार होता है। मनिहानी लाला सावनशाह मोतीशाह मनिहानी का खानदान, (सियालकोट) यह खानदान स्थानकवासी सम्प्रदाय का मानने वाला है। इस परिवार का खास निवास स्थान सियालकोट का ही है। इस परिवार के वैज लाला रामजीदासजी के पुत्र लाला मंगलशाहजी, और पौत्र बहादुरशाहजी हुए। लाला बहादुरशाहजी के दूशाहजी, मुश्ताकशाहजी और गुलाबशाहजी नामक पुत्र हुए । लाला रुल्दूशाह के परिवार में लाला खुशीरामजी प्रसिद्ध धर्म भक्त थे। आप मशहूर व्यक्ति थे। संवत् १९७० में आपका स्वर्गवास हुआ। लाला मुस्ताकशाहजी के लाला सावनशाहजी तथा रामचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। लाला सावनशाहजी-आपका जन्म संवत् १९२० में हुआ। आप इस समय इस परिवार में वयोवृद्ध सज्जन हैं। आपने व्यवसाय में हजारों लाखों रुपये उपार्जित किये । आपकी जवाहरात के के व्यापार में बड़ी बारीक दृष्टि है। आप यहाँ के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। आपके इस समय • पुत्र हैं। जिनके नाम क्रमशः दीपचन्दजी, मोतीलालजी, पनालालजी. मंशीरामजी. हीरालालजी. सराजजी तथा रोशनलालजी हैं। लाला दीपचन्दजी संवत् १९५८ से अपने पिताजी से अलग ब्यापार करते हैं। आपके इस समय मुन्नीलालजी और सुदर्शनकुमारजी नामक दो पुत्र हैं। ..
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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