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________________ भामू लाला जगतूमलजी भाभू का खानदान, अम्बाला यह परिवार मन्दिर मार्गीय आम्नाय का मानने वाला है। आप मूल निवासी धनोर के हैं, अत: एवं धनोरिया नाम से मशहूर हुए। इस खानदान में लाला सुचनमलजी के लाला जेठुमलजी, लाला भगवानदासजी, लाला जगतूमलजी तथा लाला रुलियारामजी नामक ४ पुत्र हुए। लाला जगतूमलजी-आपका जन्म सन् १८७६ में हुमाया। अम्बाला की "आत्मानन्द जैनगंन" नामक सुप्रसिद्ध विल्डिंग आपही के सतत परिश्रम से बनकर तयार हुई। आप यहाँ की स्कूल कमेटी के प्रधान थे। आपने अम्बाला की लोकल संस्थाओं तथा पंजाव की जैन संस्थाओं को काफी इमदाद दी। अपनी मृत्यु समय में आपने करीब तेरह हजार रुपयों का दान किया। इस प्रकार प्रतिष्ठापूर्वक जीवन विता कर सन् १९२६ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके स्मारक में यहाँ एक "जगतूमल जैन औषधालय" स्थापित है। इससे हजारों रोगी लाभ उठाते हैं । आपके ४ पुत्र हैं जिनमें लाला सदासुखरायजी, लाला मुनीलालजी के साथ और लाला नेमदासजी बी०ए०, लाला रतनचंदजी के साथ व्यापार करते हैं। लाला नेभीदासजी-आपका जन्म संवत् १९६१ में हुआ। आपने सन १९२६ में बी. ए. पास किया। आप आत्मानन्द जैन सभा पंजाब के ऑनरेरी सेक्रेटरी व जैन हाई स्कूल अम्बाला की कमेटी के मेम्बर हैं। इसके अलावा आप गुजरानवाला गुरुकुल को कमेटी के मेम्बर, अम्बाला चेम्बर ऑफ कामर्स के डायरेक्टर, शक्ति एन्श्यूरेन्स कम्पनी के डायरेक्टर, जैन रीडिंग रूम अम्बाला के प्रेसिडेण्ट, जगतूमल औषधालय के मैनेजर तथा हस्तिनापुर तीर्थ कमेटी के मेम्बर हैं। कहने का तात्पर्य यह कि आप प्रतिभाशाली व विचारक युवक हैं। लाला सदासुखरायजी के पुत्र केसरदासजी, मुन्नीलालजी के पुत्र भोमप्रकाशजी, विमलप्रकाशजी, चमनलालजी तथा धर्मचन्दजी और रतनचन्दजी के पुत्र फीरोजचन्दजी हैं। लाला दौलतरामजी भाभू का खानदान, अम्बाला यह खानदान मन्दिर मानाय का उपासक है। इस खानदान में लाला फग्गूमलजी के लाला दौलतरामजी बख्तावरमलजी. बलाकामलजी तथा शादीरामजी नामक ४ पुत्र हए । लाला दौलतरामजी-आपका जन्म संवत् १९१५ में हुमा था। आप बड़े नामी और प्रसिद्ध पुरुष हुए। आपने ही पहले आत्मारामजी महाराज के उपदेश को स्वीकार किया था। आपने अपने जीवन के अंतिम १० साल हस्तिनापुर तीर्थ की सेवा में लगाये, तथा उसकी बहुत उन्नति की। इस काम में आपने हजारों रुपये अपने पास से लगाये। संवत् १९८१ में आप स्वर्गवासी हुए । आपके गोपीचंदजी, मुकुन्दीलालजी, ताराचंदजी, हरिचन्दजी, इन्द्रसेनजी नामक ५ पुत्र हुए। . लाला गोपीचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९४२ में हमा। आपने गवर्नमेंट की सर्विस व बंबई में व्यापार कर सम्पत्ति उपार्जित की। आपने अपने पुत्रों को उच्च शिक्षा दिलाने का काफी लक्ष दिया है। भाप श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य तथा आत्मानंद जैन सभा के मन्त्री हैं। भापके ५ पुत्र हैं। जिनके नाम बाबू रिखबदासजी, ज्ञानदासजी, सागरचन्दजी, सुमेरचन्द तथा राजकुमार जी हैं। लाला रिखबदासजी ने सन १९२४ में बी० ए० तथा १९२६ में एल. एल. बी. की डिगरी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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