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________________ सेठ पन्नालाल नारमल बंब, भुसावल इस कुटुम्ब के मालिकों का मूल निवास स्थान पीही (जोधपुर स्टेट) में है। लगभग १०० साल पूर्व सेठ नारमलजी बम्ब ने मारवाद से आकर इस दुकान का स्थापन किया। भापके पुत्र सेठ गुलाबचन्दजी व पनालालजी बम्ब हुए। सेठ गुलाबचन्दजी बम्ब-आपके हाथों से व्यापार को विशेष उन्नति प्राप्त हुई। आप अपने स्वर्गवासी होने के समय १५ । २० हजार रुपयों का दान कर गये थे। इस रकम में से ५। ६ हजार की लागत से पीही में एक धर्मशाला बनवाई गई है। आपका स्वर्गवास सन् १९२४ में हुआ। आपके भेरूलालजी तथा सरूपचन्दजी नामक दो पुत्र विद्यमान हैं। सेठ पन्नालालजी बम्ब-ओप सेठ नारमलजी के छोटे पुत्र हैं। तथा इस परिवार में बड़े हैं। आप के परिवार की गणना खानदेश, तथा बराड़ के नामी भोसवाल कुटुम्बों में है। इस परिवार ने श्री भूराबाई श्राविकाश्रम तथा पदमावाई कन्या पाठशाला को सहायताएं दी है। यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का माननेवाला ___ श्री भेरूलालजी बम्ब-आप सेठ गुलाबचन्दजी के बड़े पुत्र हैं। आप शिक्षित तथा समझदार सज्जन हैं। तथा फर्म के व्यापार को बड़ी सफता से संचालित करते हैं । आप भुसावल म्युनिसिपेलिटी के १ वर्षों तक मेम्बर रहे हैं। शिक्षा के कार्यों में दिलचस्पी से हिस्सा लेते हैं। आपके छोटे भ्राता सरूपचन्दजी आपके साथ व्यापार में भाग लेते हैं। आपके यहां गुलाबचन्द नारमल बम्ब के नाम से साहुकारी लेन देन तना कृषि का और पनालाल नारमल बम्ब के नाम में सराफी व्यापार होता है। सेठ सरूपचंद भूरजी बम्ब, कोपरगांव (नाशिक) इस परिवार का मूल निवास स्थान कुराया ( अजमेर के पास)। यह परिवार स्थानक वासी आम्नाय का है। मारवाद से सो वर्ष पूर्व सेठ दलीपचन्दजी के पुत्र नन्दरामजी पैदलरास्ते से कोपरगांव के पास मुरशदपुर नामक रथान में आये। इनके पुत्र भरजी भी यहीं व्यापार करते रहे। संवत् १९४० में इनका स्वर्गवास हुआ। आपके रामचन्दजी तथा सरुचपन्दजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें सेठ रामचन्दजी येरण गांव ( नाशिक ) गये। संवत् १९७७ में भापका स्वर्गवास हुआ । इस समय आपके पुत्र रतनचंदजी तथा खुशालचन्दजी यरण गांव में व्यापार करते हैं। सेठ सरूपचन्दजी बम्ब-आपका जन्म १९२८ में हुआ। भाप संवत् १९४० में कोपरगांव आये। आपने व्यवसाय में चतुराई तथा हिम्मत पूर्वक द्रव्य उपार्जित कर अपने समाज में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त की है। आपके यहाँ "सरूपचन्द भूरजी बम्ब" के नाम से भादत, साहुकारी तथा कृषि
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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