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________________ ओसवाल जाति का इतिहास फर्म स्थापित की। यह साझा संवत् १९६३ तक चलता रहा। इसके बाद इसी साल आपने अपनी निज की फर्म मेसर्स प्रतापमल गोविन्दराम के नाम से की। तब से आप इसी नाम से अपना व्यवसाय कर रहे हैं। आपका जीवन, बड़ा सादा जीवन है। विद्या से आपको बड़ा प्रेम है। करीब तीन साल पूर्व आपने बीकानेर में गोलछों की गबाड़ में श्री गोविन्द सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की। जहाँ सब प्रबन्ध आपकी ओर से हो रहा है। आपके बा० भीखनचन्दजी नामक एक पुत्र हैं। आप उत्साही नवयुवक हैं आजकल आप फर्म के कार्य में सहयोग दे रहे हैं। सेठ प्रतापमलजी-आप इस फर्म के भागीदार हैं। आप श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी संप्रदाय के मानने वाले हैं। प्रारम्भ में आपने भी नेलफामारी में केसरीचन्द मोतीचन्द के यहाँ सर्विस की। कुछ वर्षों बाद उनकी नौकरी छोड़ दी एवम् अपने भतीजे सेठ गोविन्दरामजी के साथ प्रतापमल गोविन्दराम के फर्म में साझा कर लिया। जो इस समय भी है। आपके चार पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः हीरालालजी, भासकरनजी, सुगनचन्दजी एवम् जैसराजजी हैं। आप लोगों का आजकल देश में निवास स्थान श्री डूंगरगढ़ है। हीरालालजी मैट्रिक पास हैं तथा जैसराजजो इण्टर मिजियेट कामर्स की स्टेडी कर रहे हैं। शेष सब भाई फर्म के कार्य में सहयोग देते हैं । सेठ प्रतापमलजी के भाई मूलचन्दजी का स्वर्गवास हो गया है। आपके जेठमलजी एवम् सुमेरमलजी नामक दो पुत्र हैं। जेठमलजी एफ. ए. पास करके डाक्टरी पढ़ रहे हैं। दूसरे दुकान का कार्य करते हैं। इस समय इस परिवार की कलकत्ता में भिन्न २ नामों से भिन्न २ व्यवसाय करने वाली ३ दुकानें चल रही हैं। सेठ हनुतमल हरकचन्द भंसाली, छापर इस परिवार के पूर्व पुरुष सेठ खेतसीजी ने करीब १०० वर्ष पूर्व छापर में आकर निवास किया। आपके हनुतमलजी, उमचन्दजी और हरकचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें से हनुतमलजी एवम् हरकचन्दजी का परिवार शामिल में व्यवसाय कर रहा है। सेठ हनुतमलजी करीब ६० वर्ष पूर्व घोडामारा गये एवम् वहाँ अपनी फर्म स्थापित को। आप दोनों भाई बड़े प्रतिभा सम्पन्न एवम् व्यापारिक व्यक्ति थे। आपके व्यापार संचालन की योग्यता से फर्म के काम में बहुत सफलता रही। आपने अपने व्यवसाय को विशेष रूप से बढ़ाने के लिये डोमार, कलकत्ता, इसरगंज, अनंतपुर उल्लीपुर, (रंगपुर) इत्यादि स्थानों पर भिन्न २ नामों से फमें स्थापित की। सेठ हनुतमलजी का स्वर्गवास हो गया। भाप के इस समय बुधमलजी दत्तक पुत्र हैं । आप ही फर्म का संचालन करते हैं। आपके भंवरलालजी नामक एक पुत्र हैं। __सेठ हरकचन्दजी इस समय विद्यमान हैं। आपके हाथों से भी फर्म की बहुत उन्नति हुई । इस समय आपने अवसर ग्रहण कर लिया है। आपका छापर की पंच पंचायती में अच्छा मान सम्मान है। आपके बुधमलजी, मालचन्दजी, डालचन्दजी, थानमलजी और माणकचन्दजी नामक पाँच पुत्र हैं। बड़े पुत्र आपके बड़े भाई हनुतमलजी के नामपर दत्तक गये। शेष अपने व्यापार का संचालन करते हैं। भाप सब सजन और मिलनसार व्यक्ति हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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