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________________ भंसाली भंसाली मेहता अर्जुनराजजी का खानदान, जोधपुर इस परिवार के पूर्वज भंसाली बोहरीदासजी, जोधपुर में लेन देन का व्यापार करते थे। आपके सादूलमलजी, मुलतानमलजी तथा सुलतानमलजी नामक तीन पुत्र हुए, भंसाली मेहता मुलतानमलजी सम्पत्तिशाली साहुकार थे, तथा महाराजा मानसिंहजी के समय में सायरात के इजोर का काम करते थे। स्टेट को भी आपके द्वारा रकमें उधार दी जाया करती थी। सेठ मुलतानमलजी के गजराजजी, नगराजजी और बुधराजजी नामक तीन पुत्र हुए। नगराजजी भी सायरातों के इजारे का काम करते रहे । संवत् १९४१ में आपका स्वर्गवास हुआ। गजराजजी के पुत्र दौलसराजजी तथा सजनराजजी ज्युडिशियल विभाग में सर्विस करते रहे। इस समय इनके पुत्र कानराजजी व मानराजजी हैं। मेहता नगराजजी के पुत्र खींवराजजी तथा भीवराजजी हुए। खींवराजजी २८ साल से ज्युडि. शियल कुर्क हैं। भीवराजजी हैदराबाद में व्यापार करते थे। आप संवत् १९६० में स्वर्गवासी हुए। सेठ खींवराजजी के पुत्र अर्जुनराजजी व किशोरमलजी हैं। मेहता अर्जुनराजजी का जन्म संवत् १९६१ में हुआ। आपने सन् १९२५ में बी०ए० पास किया। सन् १९२६ से आप रेलवे आडिट आफिस में सर्विस करते हैं, तथा इस समय इन्स्पेक्टर आप अकाउण्टेण्ट है। भंसाली किशोरमलजी की वय २५ साल की है, आपने सन् १९३० में बी० एस० सी० एल० एल० बी० की परीक्षा पास की है। सन् १९३१ से आप "मेहता एण्ड कम्पनी" के नाम से जोधपुर में इंजनियरिंग तथा कंट्राक्टिग का काम करते हैं। सेठ प्रतापमल गोविन्दराम भंसाली, कलकत्ता इस परिवार वाले सजन मारवाड़ से बीकानेर राज्य के रायसर नामक स्थान पर आये। यहाँ कुछ समय तक निवास कर यहाँ से रानीसर नामक स्थान में जाकर रहने लगे। इस परिवार में सेठ तेजमलजी हुए। आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः सेठ रतनचन्दजी एवम् सेठ पूर्णचन्दजी था। सेठ रतनचन्दजी के तीन पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः सेठ पदमचन्दजी, सेठ देवचंदजी एवम् सेठ कस्तूरचन्दजी था। सेठ पूरणचन्दजी के प्रतापमलजी एवम् मूलचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ पदमचन्दजी का बाल्यकाल ही में स्वर्गवास हो गया। सेठ देवचन्दजी-प्रारम्भ में आप देश से सिराजगंज के पास 'एलंगी' नामक स्थान पर गये । वहाँ जाकर आपने कपड़े का व्यवसाय शुरू किया। इस फर्म में आपने अपनी होशियारी एवम् बुद्धिमानी. से अच्छी सफलता प्राप्त की। मगर दैव दुर्योग से इस फर्म में आग लग गई और भापकी की हुई सारी इनत पर पानी फिर गया। इसके पश्चात् भाप अपने सारे जीवन मर नौकरी ही करते रहे। आपका स्वर्गवास संवत् १९६५ में हो गया। आपके गोविन्दरामजी नामक एक पुत्र हुए। सेठ गोविन्दरामजी-आपका जन्म संवत् १९३५ में हुआ। आजकल आपका परिवार बीकानेर का निवासी है । भाप बाईस संप्रदाय के अनुयायी हैं। प्रारम्भ में आपने सर्विस की। आप बड़े व्यापार चतुर पुरुष हैं। नौकरी से आपकी तबियत उकता गई एवम् आपके दिल में स्वतन्त्र व्यवसाय करने की इच्छा हुई। अतएव आपने संवत् १९५६ में यह सर्विस छोड़ दी तथा हनुमतराम तुलसीराम के साझे में
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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