SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओसवाल जाति का इतिहास का दान किया था जिसका "भगरचन्द ट्रस्ट" के नाम से एक ट्रस्ट बना हुआ है। इस रकम का ब्याज शुभ कार्यों में लगाया जाता है। इस प्रकार प्रतिष्ठापूर्ण जीवन बिताते हुए सन् १८९१ में आप स्वर्गवासी हुए। सेठ मानमलजी-आप पदे उप्रबुद्धि के सजनथे । यही कारण था कि केवल १९ वर्ष की अल्पायु में ही माप नावा (कुचामण रोड़) में हाकिम बना दिये गये थे। भापको होनहार समझ सेठ अगरचन्दजी ने विल में अपनी फर्म का उत्तराधिकारी बनाया था। लेकिन केवल २८ वर्ष की अवस्था में ही सन् १८९५ में भाप बम्बई में स्वर्गवासी हुए । आपके यहाँ सेठ सोहनमलजी (जोधपुर के साह मिश्रीमलजी के द्वितीय पुत्र) सन् १८९६ में दत्तक लाये गये। आपने २५ हजार रुपयों को रकम दान की। तथा मद्रास पांजरापोल और जोधपुर पाठशाला को भो समय २ पर मदद पहुँचाई । व्यापारिक समाज में आपकी बड़ी प्रतिष्ठा थी। आपका सन् १९१५ में स्वर्गवास होगया। भापके यहाँ नोखा (मारवाड़) से सेठ मोहनमलजी (सिरेमलजी चोरडिया के दूसरे पुत्र) सन् १९१८ में दत्तक आये। सेठ मोहनमलजी-भाप ही वर्तमान में इस फर्म के मालिक हैं। आपके हाथों से इस फर्म की विशेष उन्नति हुई है। आपके दो पुत्र हैं जो अभी बालक हैं और विद्याध्ययन कर रहे हैं। यह फर्म यहाँ के व्यापारिक समाज में बहुत पुरानी तथा प्रतिष्ठित मानी जाती है। मद्रास प्रान्त में आपके सात आठ गाँव जमीदारी के हैं। मद्रास की ओसवाल समाज में इस कुटुम्ब की अच्छी प्रतिष्ठा है। इस समय आपके यहाँ "अगरचन्द मानमल" के नाम से साहुकार पैठ मद्रास में वैक्तिग तथा प्रापर्टी पर रुपया देने का काम होता है। आपकी दुकान मद्रास के ओसवाल समाज में प्रधान धनिक हैं। आगरे का चोरड़िया खानदान लगभग १५० वर्षों से यह परिवार आगरे में निवास करता है। यहाँ लाला सरूपचन्दजी चोरडिया ने डेढ़सो साल पूर्व सच्चे गोटे किनारी का व्यापार भारम्भ किया। आपके पुत्र पन्नालालजी तथा पौत्र रामलालजी भी गोटे का मामूली व्यापार करते रहे। लाला रामजीलालका संवत् १९१५ में स्वर्गवास हुमा। आपके गुलाबचन्दजी, छुदनलालजी, चिमनलालजी तथा लखमीचन्दजी नामक पुत्र हुए। लाला गुलाबचन्दजी चोरड़ियों का परिवार-आप अपने माता लखमीचन्दजी के साथ गोटे का म्यापार करते थे। तथा इस व्यापार में आपने बहुत उन्नति की । आप अपने इस लम्बे परिवार में सबसे बड़े तथा प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। संवत् १९०३ में आपका स्वर्गवास हुभा। आपके कपूरचन्दजी, चांदमल जी, दयालचन्दजी, मिट्ठनलालजी तथा निहालचन्दजी मामक ५ पुत्र हुए । इनमें लाला मिट्ठनलालजी को छोड़कर शेष सब विद्यमान हैं। लाला कपूरचन्दजी जवाहरात का व्यापार करते हैं। लाला चांदमलजी-आपका जन्म संवत् १९३० में हुआ। आपने बी० ए० एल० एल० बी० तक शिक्षण प्राप्त किया। पश्चात् १२ सालों तक वकालत की। आप देश भक्त महानुभावहै। देश की पुकार सुनकर आप वकालत छोड़कर कांग्रेस की सेवाओं में प्रविष्ट हुए। सन् १९२१ में आप भागरा कांग्रेस के प्रेसिडेंट थे। आपने राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के उपलक्ष में कारागृह वास भी किया है। भाप बड़े सरल, शांत एवम् निरभिमानी सज्जन हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy