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________________ श्रीसिवान जाति का इतिहास में सैकड़ों आपत्तियों का सामना करना पड़ा, मगर फिर भी आप विचलित न हुए। यहाँ आकर आपने मेसर्स चैनरूप सम्पतराम दगडके यहाँ) मासिक पर गुमास्तागिरी की। सात वर्ष के पश्चात् आप अपनी कार्य चतुरता और व्यापारिक बुद्धिमानी से इस फर्म के मुनीम हो गये। सन् १८८३ में आपने अपने भाइयों को हजारीमल हीरालाल के नाम से एक फर्म स्थापित करवा दी और उसपर कपड़े का न्यव्यावसाय प्रारम्भ किया । इस व्यापार में आप लोगों को बहुत सफलता प्राप्त हुई। कुछ समय पश्चात् सेठ बहादुरमलजी भी मुनीमात का काम छोड़कर इस फर्म के व्यापार में सहयोग देने लगे। बहुत ही शीघ्रता और तेजी के साथ इस फर्म की उन्नति होने लगी यहाँ तक कि वर्तमान में यह फर्म बीकानेर और बीकानेर स्टेट के धन कुबेरों में समझी जाती है । इस फर्म का कलकत्ता के इम्पोर्टरों में बहुत ऊंचा स्थान है। सेठ बहादुरमलजी के लिए बंगाल, बिहार और उड़ीसा के इनसाइक्लोपीडिया में इस प्रकार लिखा है"He is one of the fine products of the business world, having imbibed sound business instincts, copled with courtesy to strangers and religious faith in Jainism." आपही ने अपने जीवनकाल में बहुत सम्पत्ति उपार्जन कर एक कॉटन मिल खरीदा था जो वर्तमान में रामपुरिया कॉटन मिल के नाम से प्रसिद्ध है। आपका यह मिल आज भी धरू है। आपके जसकरणजी नामक पुत्र हुए। सेठ जसकरणजी-आप बड़े मेधावी और व्यापार चतुर पुरुष थे। आपने भी अपने व्यापार की विशेष उन्नति की। इतना ही नहीं बल्कि आपने मेनचेस्टर तथा लण्डन में भी अपनी फर्मे स्थापित कर अपने व्यवसाय को बढ़ाया। चूंकि इन फर्मों का काम आपही देखते थे अतः ये सब फर्मे आपकी मृत्यु के बाद उठा दी गई। बीकानेर दरबार में आपका बहुत सम्मान था। वर्तमान में आपके सेठ भंवरलालजी नामक एक पुत्र हैं। भवरलालजी बड़े योग्य तथा मिलनसार सज्जन हैं। आपही रामपुरिया काटन मिल के सारे कारवार को.बड़ी योग्यता से संचालित कर रहे हैं। सेठ हजारीमलजी-आप भी बड़े कार्य कुशल और व्यापार में बड़े चतुर सज्जन थे। आपने भी अपनी फर्मों का बड़ी योग्यता और बुद्धिमानी से संचालन किया । आपको स्वर्गवास संवत् १९९५ में होगया। आपके दो पुत्र विद्यमान हैं जिनके नाम शिखरचन्दजी और नथमलजी हैं। बा० शिखरचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९५० का है। आप बहुत साधारण प्रकृति के और धर्म पर बहुत श्रद्धा रखने वाले सज्जन है। आपके तीन पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः घेवरचन्दजी, कवरलालजी एवम् शांतिलालजी हैं। घेवरचन्दजी दुकान के काम में सहयोग देते हैं तथा शेष दो बच्चे हैं। बाबू नथमलजी-आपका जन्म संवत् १९५६ में हुआ। आप बड़े मिलनसार भौर योग्य सजन हैं। आप फर्म के काम में विशेष रूप से सहयोग देते हैं। आपको कपड़े के व्यापार का अच्छा अनुभव है। आपने जापान से डायरेक्ट कपदे को इम्पोर्ट करने का कारबार शुरू किया जिसमें आपको बहुत सफलता मिली। बापका व्यापार की तरफ बहत लक्ष्य है। मिल के काम को भी आप देखते हैं। आपके पुत्र सम्पतलालजी अभी पढ़ते हैं। ५११
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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