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________________ रामपुरिया से बिरदीचंदजी का परिवार-सेठ विरदीचन्दजी के सूरजमलजी, सदासुखजी, और तोलारामजी नामक पुत्र हुए। आप लोगों का स्वर्गवास होगया। सेठ सूरजमलर्जी के पूनमचन्दजी, हुलासचंदजी, थानमलजी, सुखलालजी और रिधकरनजी नामक पुत्र हैं। इसी प्रकार सेठ सदासुखजी के शोभाचन्दजी तथा सेठ तोलारामजी के सेठ हनुमानमलजी नामक पुत्र हैं। सेठ पूनमचन्दजी के चार पुत्र जिनके नाम लूनकरनजी, घेवरचन्दजी, तिलोकचन्दजी और श्रीचन्दजी हैं। इनमें से अंतिम दो प्रेज्युएट हैं। इसी प्रकार और ए भाइयों के भी पुत्र हैं। सेठ गणेशदासजी का परिवार-आपके मेघराजजी नामक पुत्र हुए। आपने बीदासर के रास्ते में एक धर्मशाला तथा कुँवा बनवाया । आपके कोई पुत्र न होने से थानमलजी दत्तक आये । आप ही इस परिवार में बड़े व्यक्ति हैं। सेठ चुन्नीलालजी का परिवार-सेठ चुनीलालजी बड़े प्रतिभा सम्पन्न म्यक्ति थे । भापने व्यापार में लाखों रुपया पैदा किया। आपके हमीरमलजी तथा हजारीमलजी नामक दो पुत्र हुए । हमीरमलजी अपने चाचा सेठ चौथमलजी के यहां दत्तक चले गये । वर्तमान में इस परिवार में हजारीमलजीही प्रधान है। आप यहां की म्युनिसिपेलिटी के मेम्बर हैं। आपने भी व्यापार में लाखों रुपया पैदा किया। इस समय आप कलकत्ता में अपनी निज को कोठी ढाका पट्टी में चुन्नीलल हजारीमक के नाम से जूट का व्यापार करते हैं। आपके कोई पुत्र नहीं है। अतएव आपने अपने दोहित्र शुभकरनजी दस्साणी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। सेठ चौथमलजी का परिवार-सेठ चौथमलजी के पुत्र न होने से हमीरमलजी दत्तक भाये यह हम ऊपर लिख चुके हैं। हमीरमलजी बड़े व्यापार कुशल और राजपूती ठंग के व्यक्ति थे। आपके भी जब कोई पुत्र न हुआ और आप स्वर्गवासी होगये तब सेठ पूनमचन्दजी के पुत्र सूरजमलजी दसक लिये गये, मगर आपसी झगड़ों के कारण आपके स्थान पर बीकानेर से कन्हैयालालजी दत्तक आये। वर्तमान में आपही इस परिवार के संचालन कर्ता हैं। आप बड़े मिलनसार और व्यवहार कुचाल तथा सज्जन व्यक्ति हैं। आपके यहां अभ्रक का व्यापार होता है। आपकी फर्म कोडरमा में है। आपने कोडरमा तथा गिरिडिह में कई अभ्रक की खदाने खरीद की हैं। आजकल आपका व्यापार कोडरमा में कन्हैयालाल रामपुरिया के नाम से हो रहा है। आपके यहां तार का पता 'kanyaहै। आपके दो पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः जयचंदलालजी और सुमेरमलजी हैं। आपके भाई बंसीलालजी बीकानेर ही रहते थे। आप बड़े होनहार थे। मगर बहुत कम वय ही में आपका स्वर्गवास होगया। सेठ हजारीमल हीरालाल रामपुरिया, बीकानेर यह हम ऊपर लिख ही चुके हैं कि इनके पूर्वज रामपुरा नामक स्थान से भाये। इन्हीं में आगे चलकर सेठ जोरावरमलजी हुए । आपकी बहुत साधारण स्थिति थी। आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः सेठ बहादुरमलजी, हजारीलालजी और हीरालालजी हैं। सेठ बहादुरमलजी-आप बड़े मेधावी और व्यापार चतुर पुरुष थे। मापने केवल १३ वर्ष की आयु में व्यापार के निमित्त कलकत्ता प्रस्थान किया। आपको व्यवसाय के लिये कलकत्ता जाते समय रास्ते १०५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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