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________________ नाहटा जी, बेगराजजी के पुत्र हैं। इस समय इस फर्म पर नम्बर ४ दहीहटा में चलानी का काम होता है। इसके अतिरिक्त इस फर्म की खुलना, लालमनीरहार, और मैमनसिंह में मित्र २ नामों की फर्मे हैं जहां पर कपड़े का व्यापार होता है। मैमनसिंह में भापकी चार और ब्रांचे हैं। उन पर भी कपड़ा एवम् लकड़ी का व्यापार होता है। सेठ शोभाचन्दजी बांठिया का परिवार, पनरोठी इस फर्म के मालिकों का मूलनिवास स्थान नागौर का है। आप ओसवाल जाति के बोठिया गौत्रीय जैन श्वेताम्बर मंदिर माम्नाय को मानने वाले सज्जन हैं। श्री शोभाचन्दजी का जन्म संवत् १९३० का था। आप बड़े साहसी और कर्मवीर पुरुष थे। आप संवत् १९५० में पहले पहल नागौर से गुलेचगढ़ गये और वहां अपना फर्म स्थापित किया। वहाँ से संवत् १९०४ में पनरोटी आये और यहां आकर शोभाचन्द सुगनचन्द के नाम से अपना फर्म स्थापित किया। संवत् १९८४ में आपका स्वर्गवास होगया। .. मापके एक पुत्र है जिनका नाम सुगनमलजी हैं। आपका जन्म संवत् १९५२ का है। आप इस समय पनरोटी में बैंकिग का व्यापार करते हैं । आपके तीन पुत्र हैं जिनके नाम भवरलालजी, जवेरी लालजी और मगनराजजी हैं। श्री सुगनमलजी ने संवत् १९८९ में कोलर में मेसर्स सुगनमल जवरीमल के नाम से बैटिग म्यवसाय की दुकान खोली है। श्रीयुत् शोभाचन्दजी बड़े धार्मिक और योग्य पुरुष थे। आपकी भोर से पनरोटी में सदाबृत चालू है। शोभाचन्दजी का स्वर्गवास होने पर आपके पुत्र सुगनचन्दनी ने ५०००) धार्मिक कार्यों में लगाये। इसी प्रकार आपने ओशियां की धर्मशाला में एक कमरा बनवाया और पनरोटी की स्मशान भूमि में एक धर्मशाला बनवाई। नाहटा सेठ पूनमचंद औंकारदास नाहटा, भुसावल इस परिवार का मूल निवास जेतारण (जोधपुर ) है। देश से सेठ हंसराजजी नाहटा लगभग १२५ साल पहले व्यापार के निमित्त बामणोद (भुसावल) आये । भापके पुत्र अमरचन्दजी नाहटा के हाथों से इस दुकान की काफी तरक्की हुई। आपका संवत् १९५९ में स्वर्गवास हुआ। आपके ताराचन्दजी तथा औंकारदासजी नामक दो पुत्र हुए इनमें ताराचन्द जी का संवत् १९५९ में स्वर्गवास होगया। भापके पुत्र उदयचन्दजी विद्यमान हैं। ओंकारदासजी नाहटा-आप अमरचन्दजी नाहटा के पुत्र थे। आपने भुसावल तथा आसपास के ओसवाल समाज में उत्तम प्रतिष्ठा प्राप्त की। आपके पुत्र सेठ पूनमचन्दजी नाहटा विद्यमान हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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