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________________ अयोध्यो का इतिहास | / ४१ लोक जगदवंद महर्षियों ने अधापि पर्यंत प्रभुका त्रिकालाबाधित अविकारी शासनको अविच्छिन्न परम्परायेटकावी - रखा धन्य हो ! ऐसे परम योग निष्ठ शासनप्रेमी महात्माओं को इ० स० १०३० में महमुद गजनवी के भांजे संयदसालार इस देश पर चढआया उसने प्रथम मुस्लिम सिपाही ने श्रीअयोध्या पर वार किया- बाद में श्रावस्ती गया वहां पर जैनी राजा सुहेलदेव के हाथ से बहरायच में मारा गया वहां पर भाप की कबर वनी हुई है । ई० स० ११६५ महम्मदगोरी भारत पर चढाई कर आया और हिन्दू राजा पृथ्वीराज को मारकर दिल्ली की गद्दी पर श्रारूढ हुआ आप के साथ में आप का भाई मखदूमशाहगोरी आया था इसने मयोध्या में आकर स्वर्ग द्वारवाला श्रीश्रदिश्वरजी का जन्मस्थान का मन्दिर, वा सम्राट अशोक का बनवाया हुआ कीर्तिस्थम्भबौद्धमठ और चैत्यालय को नष्ट कर दिया और उस जगह पर मसजिद वो घनवाया जो हाल में शाहजूरनका टीला के नाम से मशहूर है उस जगह वीरान टीला और मकवरें टूटीफूटी मौजूद है । टोला के धं भाग में फिर से इ० स० ७२१ में नवाव शुजाउद्दौला के खजाची संठ केसरसिंह अग्रवाल दिल्ली वाले ने नवाव के हुक्म स मकवरा P
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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