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________________ अयोध्या का इतिहास। ( ४० ) - वहां राज्य के लिये मारा मारी में आचार्यों में धर्मग्रन्थों में मारा मारी परिवर्तनमें सब कुछ हो गया, उस वक्त अपनी अयोध्या उत्तराखण्ड की अजोड भूमि हो रही थी साधु-शिष्य समुदाय को लेकर विहार कर गये श्रावक श्रमण संघ में धर्म परिवर्तन होने लग गया जहां वहुत श्रावक रहे वो वदल गये और जहां नहीं थे वहां नये हो गये ऐसे वक में तीर्थों को सम्भालने वाला न रहा कल्याणक की पवित्र भूमियों को कोई वचाने वाला भी न रहा तब ई-स-६४७ से ११०० तक में श्रीवास्तव कायस्थ राज्यकर्ता रहे आये अयोध्या पर राज्य अमल चलाया आप सब जैनी रहे आप शाकाहारी थे और संध्याको भोजन करते नहीं आपके वंशजों में से इ-स-११४२में इलाहावाद जिले के गढ़वायाम में और एक मेहवड में श्री सिद्धेश्वरजी का मन्दिर श्रीवास्तव जैनियों ने बनवाया था जिसका शिला लेख हाल इलाहाबाद अजायबघर में है आप सब राज्यकर्ताओं ने जैनधर्म का अच्छा रक्षण किया अयोध्या का मन्दिर का कारोवार आपके पास था ऐसे मौके पर धर्म का तीर्थभूमिका समालनेवाला न रहा सब कोईके चले जाने पर भी चैत्यवासी यतीवयं महाराजाओं ने चैत्यवासी मूरिश्वरों ने धर्मका रक्षण किया प्रादर्श महात्माओं ने प्राणांत कष्टों को सहन कर. जैनशासन की धर्म ध्वजा विस्तीर्ण प्रदेश में फहराया इन पुण्य
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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