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________________ अयोध्या का इतिहास। [ ३२ ] - - भनेक मन्दिर बनवाकर अयोध्या आबाद किया । मापके गज्यकाल में चीनी यात्री फाह्यान भारत भ्रमण को माये थे जिसका वृत्तांत जेम्स लेग साहब ने "फाह्यान की यात्रा" नामक पुस्तक में लिखा है मापने जैन, बौद्ध, शैव धर्मपर समान प्रेम कहा था। इ-स-पूर्व-२७३ से २३७ तक आपके उत्तराधिकारी महाराज अशोक हुए आपने बौद्धधर्म अङ्गीकार कर अरिहन्तको प्रतिमा स्थापनकर बहुत से चैत्यालय, बौद्धमठ, शिलालेख स्तूप कीतिम्तम्भ बनवा ये मापका बनाया हुमा-प्रथम स्थान श्री आदिश्वरजी का मन्दिर, स्वर्गद्वारी पर का और २००फोट उचा कीर्तिस्तम्भवनवाया रहा और आपके समयमें भारतवर्ष में एशिया खण्ड में चीन, जापान, तिब्बत मंगोलिया वमा, सिलोन मलायावी, देशोपर वौदधर्म का प्रचार किया भाप धर्म प्रेमी रहे २०० फाट ऊचा कीर्तिस्तम्भ स्वर्गद्वारी पर बनवाया था। मापके बाद महाराज कुणाल ( दशरथ-वधु पालित ) हुये और भापती सोतीली मां के कारण दश वटा लेना पड़ो बड़ी कठिनाइयां उठाई और माता का हुक्म सुनकर भांखें फोड़ देना पड़ा माखोर घूमते २ उज्जैनों के राजा की लड़की
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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