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________________ [ ३१ ] अयोध्या का इतिहास । इ-स-पूर्व २९० से २७३ तक में विक्रमादित्य ने राज्य किया। आपका नाम दूसरा चन्द्रगुप्त आपके राज्यकाल में अच्छे विद्वान कवि गज्यदरबार में रहे, आप समस्त एशिया पर विजय किया था और आपके साथ महा कवि कालिदास सब जगह घूमे थे, तक्षशिला नगरीका राजा कनिष्क जो क्षत्रप शाक्यकुल का रहा जिसने अपने नाम का सम्वत् चलाया था और पश्चिम भारत एशिया-देशपर आधिपत्य रहा आपके वक्त के बहुत कुछ शिलालेखसिक्के मिलते हैं । जिसमें से मथुरा की श्रीमहावीरजी की प्रतिमा पर का लेख है । जिसका राज्यका ई-स-पूर्व-२१६ का है। "सिद्ध महाराजा कनिष्कस्य राज्ये सम्वत्सरे नवमो ९॥" चन्द्रगुप्तदूसरे ने कनि क र जा को जीतकर उज्जैनीका राजा विक्रमको जीतकर और श्रावस्ती नगरी के राजाको जीतकर, उत्तर कौशल की राजधानी श्रावस्ती में से राज्य छोडकर अयोध्यामे अपना राज्य कायम किया उजडी हूई अयोध्याका उद्धार किया और मापने सम्वत् चालूकर विक्रमा दित्य नाम धारण का मापक वक्त में प्रथम श्रीरामचन्द्रजी का जन्मस्थान पर बडा भारो मन्दिर बनवाया जिसका द्वार पूरा कसोटी काला सङ्गमरमर पत्थर का रक्षा दूसरा मन्दिर श्री आदिश्वर जो का दीताकल्याणक वाला बनवाया जो हाल में मौजूद है और तीसरा कनकभवन वनवाण और दूसरे
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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