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________________ भयोध्यो का इतिहास । । १७ । के एक महल्ले में जिसका नाम था + पुरीमताल यहां आके ठहरे वहां वट वृक्ष के नीचे त्रिवेणो सङ्गम पर भगधान् को प्रथम कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुमा उसी वक्त तीर्थ + पुरीमताल~ वर्तमान काल में प्रयाग के नाम से मशहूर हिन्दु सनातनधर्म का तीर्थराज कहलाता है जहां त्रिवेणी संगम पर किले के भीतर मौर्य सम्राट्महाराज अशोक को बनाई हुई गुफा मन्दिर में अछयवट (अक्षयवट ) के नीचे कैवलय ज्ञान कल्याणक को चरण पादुकायें विराज मान हैं । ऋषभदेव अयोध्यापुरी; समोसयी सामी हितकारी। भरत गयो वन्दने काज; ए उपदेश दियो जिनराज ।। जगमा मोहटो अरिहंत देव; चौसठ इन्द करे जसु सेव। तेहसी मोहोटो संघ कहाय; जेहने प्रणमें जिनपर राय ॥ लेहथी मोहोटो संघवी कहायो; भरत सूणीने मन गहगह्यो । भरत कहेते किम पामिये, प्रभु कहे शेत्रुज यात्रा किये ।। भरत कहे संघवी पद मुज; ते आपो हुँ अंगज तुझ । इन्द्र आठया अक्षत वास; प्रभु श्राये संघवी पद तास ॥ इन्द्र तेणी बोला तत्काल; भरत सुभद्राबेहुने माल ॥ पहरावा धर संपेडिया; सखर सोनाना रथ अापीयां ॥ ऋषभदेवनी प्रतिमावली; रत्नतणी कीधी मनरली । भरते गणधर घर तेडीया; शांतिक पुष्टिक सहुतिहांकिया ।।
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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