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________________ ( १७ ) निदर्शन भरे पड़े हैं। बुद्ध ने वैभार पर्वत पर निवास किया था। यहाँ उनका उपदेश सुनने के लिये नगरवासी आते थे। राजगृह के पास ही गृद्धकूट नामक एक पहाड़ी है । उसके सम्बन्ध में एक कथा है कि मारमन के असामाजिक भाव-ने गिद्ध का रूप धारण कर बुद्ध के प्रिय शिष्य आनन्द को डरवाया था। पर बुद्ध के प्रभाव से उसकी सारी माया व्यर्थ गयी। कहते हैं, उसी समय से इस पहाड़ी का नाम गृद्धकूट पड़ा। इस पर्वत पर बुद्धदेव ने भी बहुत बार निवास किया था। महावीर ने राजगृह में अनेक वर्षावास किये थे । राजगृह से कुछ हटकर नालन्दा नामक स्थान है । यहाँ भी महावीर ने दो वर्षावास किया था । बुद्ध के भी यहाँ अनेक संस्मरण हैं। बाद में आगे चलकर इसी नालन्दा में जगत्प्रसिद्ध विश्वविद्यालय स्थापित हुआ । इस विश्वविद्यालय के खण्डहर मीलों तक पाये जाते हैं। नालन्दा के पास ही पावापुरी है, जहाँ महावीर का निर्वाण बताया जाता है । यह जैनियों का तीर्थस्थान है। यहाँ एक विशाल और सुन्दर तालाब के बीच में एक सुन्दर मन्दिर है, जिसमें महावीर के पदचिह्न हैं । मगध साम्राज्य का प्रारम्भ बिम्बिसार का पुत्र अजातशत्रु था। वह बहुत बड़ा महत्वाकांक्षी और साम्राज्यवादी था। उसने अपने पिता बिम्बिसार को कैद कर राज्य प्राप्त किया और अन्त में कैद में ही बिम्बिसार की मृत्यु भी हुई। मगध साम्राज्य के ठीक निकट, उसके उत्तर में वजियों का महान् संघ राज्य था। अजातशत्रु साम्राज्यवादी था। वह मगध साम्राज्य का प्रसार चाहता था। मगध साम्राज्य के प्रसार के लिये वजि संघ का विनाश आवश्यक था ; पर अजातशत्रु के लिये वजि संघ का जीतना बड़ा कठिन था। अजातशत्रु ने वजि संघ को जीतने का उपाय बुद्ध से जानने की एक चाल चली। वह स्वयं बौद्ध था । बौद्ध धर्म का संरक्षक और सहायक था। इसलिए बुद्ध उसकी चाल में आ भी गये। अजातशत्रु ने अपने मन्त्री वरसकार को बुद्ध के पास भेजा। वस्सकार ने बुद्ध
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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