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________________ ( ८ ) से क्षत्रियों को पकड़ कर रुद्र के निकट उनको बलि देना चाहते हो। तुम मनुष्य बलि से शंकर की पूजा करना चाहते हो, यह सब से बड़ा पाप है। इसी कारण हम तुमको मल्ल युद्ध की चुनौती देते हैं। हम में से किसी के साथ लड़ो अथवा राज छोड़ दो। इस पर जरासन्ध जो कुछ कहता है, वह बहुत महत्त्वपूर्ण है। उसने कहा कि मैंने बिना युद्ध में जीते किसी राजा को कैद नहीं किया और युद्ध में जीते राजा के साथ चाहे जैसा भी करना क्षत्रियोचित धर्म है। ___ यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि जरासन्ध ने जीते हुए क्षत्रिय राजा को बलि चढ़ा देना भी धर्म कहा है। इसका तर्कसम्मत उत्तर श्रीकृष्ण के पास नहीं था। खाण्डव वन में अर्जुन के साथ नाग जाति के मनुष्यों को श्रीकृष्ण ने ही जलाकर मारा और भगाया था। अर्थात् यह उस काल का साधारण धर्म था। इससे सिद्ध होता है कि महाभारत युद्ध के पहले तक जीते हुए शत्रु को मार डालने तक की प्रथा प्रचलित थी । शत्रु राजा को मार कर उसकी सेना को गुलाम भी बनाया जाता था। इसी कारण धर्मशास्त्रों में दासों के एक प्रकार में युद्ध में जीते दासों की भी गिनती है। यदि डॉ० काशीप्रसाद जायसवाल के अनुसार महाभारत युद्ध का काल ईसा से १४०० साल पूर्व माना जाय, तो कहा जा सकता है कि उस समय भारत में और मगध में नरबलि ही नहीं, नरपति-बलि की प्रथा थी। महाभारत के अनुसार जरासन्ध से पूर्व मगध में जरा नाम को एक राक्षसी थी, जो नर-शिशु का अाहार करती थी । बौद्ध साहित्य के अनुसार बुद्ध ने इस राक्षसी के शिशु को चुराकर, उसके मन में शिशु के प्रति करुणा की भावना पैदा की और बाद में वह राक्षसी निषादों की देवी बन गई। इससे ऐसा लगता है कि बहुत प्राचीन काल में मगध में ऐसी जाति थी, जो नर-मांस का अहार करती थी। ऐसी ही विकट परिस्थिति में मानव समाज के कल्याण के लिये अहिंसा की साधना का आविष्कार हुअा होगा।
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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