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________________ SALADABAZAROBAR SHANING पू. हेमचन्द्रसूरिजी के साथ, गिरनार अंजनशलाका, वि.सं. २०४० २८-९-२०००, गुरुवार अश्विन शुक्ल - १ * भगवानकी देशनाके प्रभावसे तीर्थमें ऐसी शक्ति आयी कि जिससे तीर्थ २१ हजार बरस तक चलेगा । हम सब वाहक हैं । बड़ी मांडलीमें दूर रहे हुए महात्माको वस्तु पहुंचाने में जिस तरह हम वाहक बनते हैं, उसी तरह यहां पर भी हम वाहक हैं । २१ हजारके सात भाग करें तो पहला भाग पूरा होने आया हैं, और छ: भाग बाकी हैं । भगवान मोक्षमें गये तो तीर्थमें प्रभाव घट गया, ऐसा नहीं हैं । मैं तो कहता हूं : उलटा प्रभाव बढ़ गया हैं । भगवान पहले कर्मसहित थे । अब कर्म-मुक्त बने । कर्मसहितका प्रभाव ज्यादा या कर्मरहित का प्रभाव ज्यादा ? __ अभी भी भगवानकी करुणा काम करती हैं वह समझ में आता हैं ? * नगरमें धर्मी कितने ? अधर्मी कितने ? यह जानने के लिए श्रेणिकने नगरके बाहर बनाये हुए दो मंडपों में सभी धर्मके ही मंडप में आये । अधर्मके मंडपमें मात्र एक ही श्रावक था । जो कह रहा था : मैंने धर्ममें अतिचार लगाया हैं । मैं धार्मिक [६४00000000000000000000 कहे कलापूर्णसूरि - ४)
SR No.032620
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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