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________________ प्रकाशकीय... (गुजराती आवृत्ति में से) अनन्तानन्त सिद्धों की पुन्य धरा पालीताना में कच्छ-वागड़ देशोद्धारक, परम श्रद्धेय अध्यात्मयोगी पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय कलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा., मधुर भाषी नूतन आचार्य श्रीमद् कलाप्रभसूरीश्वरजी म.सा., विद्वद्वर्य पूज्य पंन्यासश्री कल्पतरुविजयजी, प्रवक्ता पू.पं. श्री कीर्त्तिचन्द्रविजयजी, पू. गणिवर्यश्री (हाल पंन्यासश्री) मुक्तिचन्द्रविजयजी, पू. गणिवर्यश्री पूर्णचन्द्रविजयजी, पू. गणिवर्यश्री मुनिचन्द्रविजयजी, पू. मुनिश्री कुमुदचन्द्रविजयजी, पू. मुनिश्री कीर्त्तिरत्नविजयजी, पू. मुनिश्री तीर्थभद्रविजयजी, पू. मुनिश्री हेमचन्द्रविजयजी, पू. मुनिश्री विमलप्रभविजयजी आदि लगभग ३० साधु भगवंत तथा ४२९ साध्वीजी भगवंतों का बीस वर्ष के पश्चात् वागड़ वीसा ओसवाल जैन संघ तथा सात चौबीसी जैन समाज दोनों की ओर से अविस्मरणीय चातुर्मास हुआ । चातुर्मासान्तर्गत १८ पूज्य साधु भगवंत तथा ९८ पूज्य साध्वीजी भगवंतों के बृहद् योगोद्वहन, मासक्षमण आदि तपस्याओं, जीवदया आदि के फण्ड, परमात्म-भक्ति-प्रेरक वाचना- प्रवचनों, रविवारीय सामूहिक प्रवचनों, जिन-भक्ति महोत्सवों, उपधान आदि अनेक विध सुकृतों की श्रेणि का सृजन हुआ । चातुर्मास के बाद में ९९ यात्रा, पन्द्रह दीक्षाओं (बाबूभाई, हीरेन, पृथ्वीराज, चिराग, मणिबेन, कल्पना, कंचन, चारुमति, शान्ता, विलास, चन्द्रिका, लता, शान्ता, मंजुला, भारती) तथा तीन पदवी (पूज्य गणिश्री मुक्तिचन्द्रविजयजी को पंन्यास पद, पू. तीर्थभद्रविजयजी एवं विमलप्रभविजयजी को गणि पद) आदि प्रसंग अत्यन्त शालीनतापूर्वक मनाये गये । इन सबमें समस्त जिज्ञासु आराधकों को सर्वाधिक आकर्षण था अध्यात्मयोगी पूज्य आचार्यश्री की वाचनाओं का । पूज्यश्री का प्रिय विषय है भक्ति । इस चातुर्मास में 'नमुत्थुणं' सूत्र की पूज्य श्रीहरिभद्रसूरि कृत 'ललित विस्तरा' नामक टीका पर वाचनाओं का आयोजन हुआ । 'ललित विस्तरा' अर्थात् जैनदर्शन का भक्ति शास्त्र ही समझ लें । 'ललित विस्तरा' जैसा भक्ति-प्रधान ग्रन्थ हो, पूज्यश्री के समान वाचनादाता हों, पालीताना जैसा क्षेत्र हो, प्रभु-प्रेमी साधु-साध्वीजी
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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