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________________ xiii उपोद्घात कालिदास कब-कब हुए और कौनसी रचना किस कालिदास की है। प्राचार्य चन्द्रबली पाण्डेय का कहना हैः "संस्कृत साहित्य में कवि को ही काव्य के नाम से कहने की परिपाटी रही है। जैसे, शिशुपालवध को माघकाव्य, रावणवध को भट्टिकाव्य और किरात को भारवि के नाम से कहा जाता है। ऐसे ही शृङ्गार के ललितोद्गार में एक ही कालिदास अर्थात् उनके एक ही ग्रन्थ की बराबरी कोई नहीं कर सकता, फिर कालिदासत्रयी अर्थात् उनके तीन ग्रन्थों की बराबरी कौन कर सकता है"। हमें भी पाण्डेय जी का यह कथन उचित प्रतीत होता है क्योंकि यह पद्य कविकाव्य-प्रशंसा के प्रकरण में कहा गया है। इसमें कहे 'कालिदासत्रयी' शब्द से उनके तीन काव्यों (रघुवंश, कुमारसंभव और मेघदूत) तथा तीनों नाटकों (विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्निमित्र और अभिज्ञानशाकुन्तल) की श्रेष्ठता प्रतीत होती है। यद्यपि यह तथ्य है कि कालिदास के नाम से जितने ग्रन्थ उपलब्ध हैं वे सब एक ही व्यक्ति की कृतियां नहीं हैं, क्योंकि उनमें भाषा, शैली और निर्माणकला की दृष्टि से बहुत भिन्नता है; अतः यह हो सकता है कि कालिदास नाम के कई व्यक्ति हुए हों, अथवा कालिदास की अप्रतिम ख्याति से प्रभावित अवान्तरकालीन कवियों ने अपने व्यक्तित्व को छिपाकर उनके नाम से अपनी रचनाओं को विख्यात कराने की चेष्टा की हो। किन्तु कालिदास नाम से कितने कवि हुए और कब हुए इसका निर्णय करने के लिये कोई ठोस सामग्री हमें उपलब्ध नहीं ॥ कालिदास के नाम से उपलब्ध रचनाएँ ___ कालिदास के नाम से कही जानेवाली रचनाओं की संख्या ४० से ऊपर है जिनमें मुख्य हैं-मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय, अभिज्ञानशाकुन्तल, रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत, ऋतुसंहार, श्रुतबोध, कुन्तलेश्वर दौत्य, घटखर्पर, राक्षसकाव्य, नलोदय, दुर्घटकाव्य, वृन्दावनकाव्य, विद्वद्विनोद, पुष्पवाणविलास, नवरत्नमाला, ज्योतिर्विदाभरण, अम्बास्तव, कालीस्तोत्र, गङ्गाष्टक (दो), चण्डिकादण्डक, श्यामलादण्डक, मकरन्दस्तव, लक्ष्मीस्तव, कल्याणस्तव, लघुस्तव, शृङ्गारतिलक, शृङ्गारसार और सेतुबन्ध । १. द्र० चन्द्रबली पाण्डेय, 'कालिदास' पृष्ठ २
SR No.032598
Book TitleRaghuvansh Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Makavi, Mallinath, Dharadatta Acharya, Janardan Pandey
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1987
Total Pages1412
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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