SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ JONE, 1916) NOTES ON GRAMMAR OF THE OLD WESTERN RAJASTHANI 97 श्रीकालिकाचार्य गुरु भाणेज राजा भणी तीण नगरि भाविया । मामड भणी दत्त गुरु कन्हइ गिर । बाग में फल पूछवा लागु । गुरे कहिउँ जीवदया लगद धर्म हा । इत्त कहा याग नैं फल कहता गुरे कहिउँ हिंसा वर्गति हेतुर पेलर कहा आड का कहर बाग फल कहर । गुरे मरण भांगमी नइ कहिउँ याग • फल नरकगति कही। दत्त कहइ हउँ नरगि जाइ | गुरे कहिउँ करंण संदेह । सातमह दिहाडा कुम्भी माहि पचीतट नरगि जाएसि । सिउँ अहिनाण | सातमह दिहाडद साहरइ मुहि विष्ठा पडिसिह ए महिनाण | पत्ति कहिउँ त मरी किहाँ जाइसि | गुरे कहिउँ हउँ देवलोकि जाइसु । तर पत्तिई रीसाविई गुरु पाखती जण किया । चीतवह छह सातमइ निवाडा गुरुजि मारिस । इसिउँ चीतवी घर माहि पइसी रहिट |राजा मार्ग चोखलाविया। तिहाँ पुष्पप्रगर कराविया । एकई माली गावर काजि कपमह विष्ठा मारागकरी उपरि फूल मुंडाल लॉखिउँ । ते दत्त आठमा दिहाडा मी भ्रान्तिई सातमहभि दिन गुरु मारिवा नीसरिउ | घोडा नु पग विष्ठा ऊपरि पडिउ । विष्ठा अछली वह नह मुहडद पडी। बीहनु पाछत पलिउ । सामन्तमण्डलीके तेह कपरि विरक्त सइ बाँधी कुम्भी माहि [पालिउ | कुम्भी माहि] पचीतउ नरगि गिउ | सामन्ने वली भागिलु जिसशत्रुराजा थापिउ | तीणई श्रीकालिकाचार्य पुण्या | चारित्र पाराधी देवलोकि पहला ॥. 6. King Cronika and his Cruel Son Kanika. [From the same, gatha 149.] राजगृह नगरि श्रेणिक राजा । चिलणा पहराणी । तेह नह एक वार गर्मि पुत्र कपनु । पाछिला भव ना वाराण सम्बन्ध भणी गर्भ नईमहात्म्यि भरतार नौ भौत्र खावा डोहलर ऊपन । भभयकुमार मुन्तई कारिमाँ मौष खबरावी डोहल पूरिट । जातमात्र बेटर कर लँखावित । तिहाँ संह नी आँगुली कूकुडई लगारेक करडी । श्रोणक महाराई पाछर परिभणाविड । अशोकचन्द्र नाम दीधउँ । तेह नी आँगुली कुही । ते रोबह । भांगुली श्रेणिक राय पिक वहती मोह लगह मुहंडइ घासह । ते बेटउ रोतु रहर । भौगुली साजी थई। आँगली कही भणी तेह हर बीजलं नाम कोणी इसि प्रसिद्ध हुई । इसिड अभयकुमार महन्त दीक्षा लीधी पुठि श्रेणिक महाराई कोणी ईराज्य देवा पांछत पहिलङजि सम्यक्कनी परीक्षा देवता नु भापिट हार अनह भवधिज्ञानी सेचनक हाथीउ एतलों वानों हल विहडबेटों 37 हाँ आपियाँ। कोणी नामनि मत्सर ऊपनु । सामन्त सघलाइ आण्णा वसि करीं बाप काष्ठपश्चरि घाती राज्य लीधउँ बाप इनित पाँच पाँच सई नाडीए मरावह । इसिह कोणी राय नहबेटर जायु छा । तेखोलाले कोणी राय जिमवा बहउ। बट भाणा माहिमचिउँ । ते पर करी जिमवा लागु| कोणी राय चिकणा माय कहद मात दीठर्ड तई माहरा बेटा कपरि स्नेह । चिखणा मात रोखी कहर सिट ताहक स्नेहा ताहरा बाप हाँ, ऊपरि एवड स्नेह तड ताहरी कही भऑगुली पिरू बहती भापणा मुखि धाततड ।वात जाणी कोणी राय ना मनि पश्चात्ताप हर | कुठार लेई बाप नी भाडीलि भाँजिवा गिर । रखवाल भावी श्रेणिक कहि । श्रेणिक महाराब पीतविउँ न जाणीई ए वली कुण इाँ कदर्यना मारिसिह । एह भणी तालुपुट विस खाई महाभागा भाखा बाँधा भणी पहिली नरकपृथ्वीरे गित|कोणी रायरं महापश्चात्ताप हुउ | पछा कोणी राब हल विहल भाई नह कीधई पेडा महाराव सिरे महायुद्ध करी पाप पाजी छही नरकपृथ्वीई गिट. . 7. Jain Asoc ties live like the Bees. [From a commentary on the Dasaveyaliyasutta, contained in the MS. No. 557, in the Regia Biblioteca Nazionale Centrale of Florence.] धम्मो मलमुकलं । धम्में सर्वोत्तम माङ्गलिक किंवि । जीवदया १, संयम १. भेव [२] तप १२ मेवर एह बि प्रकारि माँहि सपला धर्म ना भेद भवतरई । फलमाह | जेहजीव रहई धर्म नई विषई सदा मन हरदेवडते प्रतिई नमस्काई ॥१॥ जहा। शिम भमक वृक्ष नाँ फुल नई विषई रस थोड थोडु पी जेषद रीतई फूल कमाई नहीं भमा भापपयूँ पीति पमार्ग ॥२॥ एवमें। 35 विष्टा. * M88. representing all nasals by a mere dot, it is difficult to decide whether in the present case we should read तह सर. ___38 काष्ट. __ कपाजी 40 I omit here the Sanskrit paraphrase of the Prakrit text, which is also given in the MS. सपलाई. ७ . देवई
SR No.032537
Book TitleIndian Antiquary Vol 45
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRichard Carnac Temple, Devadatta Ramkrishna Bhandarkar
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages380
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy