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________________ AUGUST 1885.] ऐदल ऊपर पैदल गिर गेल असवार ऊपर असवार दलिया बहि बहि कछुआ होय गैल तरुअरिया भैल घरियार THE SONG OF ALHA'S MARRIAGE. छुरि कटारी सिधरी होय गेल ये थे विलङ्गा खाय 380 नब्बे हजारन के पलटन में दसे तिलङ्गा बाँचल बाय किरिया धरावल जब लहरा सिङ्घ रूदल जियरा छाड़ हमार नैयाँ लेब बघ रूदल के प्रतनी बोली व रूदल सुन गेल दल बढ़ मन होय जाय फिर के चलि मेल बघ रूदल लहरा दोसर केल सरेख खैंचल तेगा जब लहरा सिक्व बाबू लिहल अली के 365 नाम ज तक मारल बघ रूदल के देबी झट के लिहल बचाय जरल करेजा बघ रूदल के रूदल कूदल बवन्तर हाथ ज तक मारल लहरा के भुइँयाँ लोथ फहराय भागल फौदिया जब लहरा के जब मेना गढ़ गेल पराय लागल कचहरी इन्दरमन के जहाँ तिलङ्गा पहुँचल 370 बोले तिलङ्गा लहरा वाला राजा इन्दरमन जान बचाई भोर जाय प्रतनी बोली सुनल इन्दरमन बाबू मन में करे गुनान - गैल बीड़ा इन्दरमन के राजा इन्दरमन बीड़ा लेल पड़ उठाय हाथी मैगाल भीरानन्द जिन्ह के भी मन भीग पिलाय 376 दसे तिलङ्गा ले साथन में चुप्पी पलटन चलल बनाय घड़ी पलकवा का चलना में सिब मन्दिर पहुँचल जाय बाँधन घोड़ा रूदल के पलटन पर पड़ गैल दीठ घीचै दोहाइ जब देवी के देबी मान बचाव मोर आइल देबी जङ्गल के बनसपती देबी पहुँचल आय घोड़ा खोल देन बघ रूदन के घोड़ा उड़ के लागल अकास 380 रूदल सूतल शिव मन्दिर में मनी घोड़ा पहुँचल बाय मारे टापन के रौनन से रूदल के देल उठाय बोलल पौदा रूदल के बाबू पलटन इन्दरमन के पहुँचल आय फौद बनेड़ा पर चढ़ि गेल पलटन में पहुँचल वाय बलो कुबेला अब ना चीन्हे आत जोड़ देल तरवार 985 पड़ल लड़ाइ इन्दरमन से रूदल से पड़ गैल मार ऐसी लड़ाइ सिब मन्दिर में अब ना चीन्हे आपन पराय 225 गनगन गनगन चकर बान बोले जिन्ह के बलबल बोले ऊँट सनसन सनसन गोली बरसे दुइ दल कान दिहल नाहि जाय दसो तिलङ्गा इन्दरमन के रूदल काट कैल मैदान 390 गोस्सा जोर भेल इन्दरमन खीच लेल तरवार ज तक मारल बघ रूदल के अस्सी मन के ढालन पर लेल बचाय ढलिया कट के बघ रूदल के गद्दी रहल मरद के पास बौह टूट गेल रूदल के बाबू टूटल पञ्जर के राड़ नाल टूट गेल घोड़ा के गिरल बहादुर घोड़ा से 300 धरती पर गिरन राम राम चिचियाय पड़ल नजरिया है देवी रूदल पर पड़ 。 आइल देबी इन्द्रासन के रूदल कन पहुँचल बाय इमिरित फाहा दे रूदल के घट में गेल समाय तारु चाटे रूदल के रूदल उठे चिहाय चिहाय 400 मान बचावे देबी बघ रूदल के रूदल जीव ले गेल पराय भागल भागल चल गेले मोहबा मे गैल पराय प्रत्तो बारता बा रूदल के आल्हा के सुनी हवाल केत्ता मनौली बघ रूदल के लरिका कहल न मानल मोर बावन कोस के गिरदा में बच रूदल डिगरी देल पिटवाय 405 लिखल पाँती बब रूदल तिलरी मे देल पैठाय तेली बनियाँ चलल तिलरी के लोहन में आफत काल पाँती भेजावे नरबर गढ़ राजा मैदनी सिङ्घ के दरबार चलन वे राजा वा मेदनी सिद्ध मोहना में पहुँचल जाय 409 आइल राजा मकरना गढ़ मोरङ के राजा पहुँचल बाय चलल जे राजा बा सिलहट के भूँमन सिङ्घ नाम धराय आइल राजा डिल्ली के सुरजन सिङ्घ बुढ़वा सैयद बनारस के नौ नौ पूत अठारह नात नेहल बादल के थमवैया लोहन में वह चाल मियाँ मेहदी है काबुल के हाथ पर खाना खाय उड़ उड़ लहिं सरगे में जिन्ह के लोथ परी ले साय चलल जे राजा बा लाखन सिङ्घ लाखन लाख घोड़े 415 असवार मी मन लोहा नौमनिया के सना सी मन के सान उन्ह के मुरचा अब का बरनो सौ बीरन में सरदार पाइल राजा वा सिलहट के मैमन सिङ नाम धराय 420 नेत्ता जे राजा बा लड़वैया रूदल तुरत लेल बोलाय
SR No.032506
Book TitleIndian Antiquary Vol 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages418
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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