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________________ 224 THE INDIAN ANTIQUARY. [AUGUST, 1885. भागल सोनवौं अण्डल खिरकी पर पहुँचल जाय है केऊ रजा लड़वैया रूदल पर बीड़ा खाय 320 सोने पलैंगिया बिछवौली सोने के मढवा देल बिछवाय | चौहड़ कॉपे लड़वैया के जिन्ह के हिले बतीसो दौत सात गलैचा के उपर रूदल के देल बैठाय 285 केकर जियरा है भारी रूदल से जान दिया जाय हाथ जोड़ के सोनवा बोलल बबुमा रूदल के बलि बीड़ा उठावल जब लहरा सिङ्घ कल्ला तर देल दबाय जाओ मारू डका बजवावे लकड़ी बोले जुझाम जुझाम 324 कहवाँ बेटी ऐसन जामल जेकरा पर बैंधला फाड़ | एकी एका दल बटुरल जिन्ह के दल बावन नबे हजार बोले राजा बव रूदल भौजी सोनवा के बलि जाओ बुढ़ बियाउर के गनती नाहि जब हाथ के गनती नाहि बारह बरिसवा बित गैल भैया रह गैल बार कुमार बावन मकुना के खालवाइन रजा सोरह से दन्तार किला तूड़ दो नैना गढ़ के सोनवों के करो बियाह290 नब्बे से हाथी के दल मेड़ड़ उपरे नाग डम्बर उपरे प्रतनी बोली रानी सोनवाँ सुन गैल सोनवा बड़ मङ्गन में डराय होय जाय चलल परबतिया परबत के लाकट बाँध चले तरवार भुखल सिपाही मोर देवर है इन्ह के भोजन देब बनाय चलल बंगाली बंगाला के लोहन में बड़ चण्डाल 330 दूध मंगौली गैया के खोया खाँड़ देल बनवाय चलल मरहट्टा दखिन के पक्का नौ नौ मन के गोला जैद ल जैइ ल बाबू रूदल प्रहि जीबन के पास खाय कड़खा बोली रूदल बोलल भौजी सोनवा अरजी मान नौ सौ तोप चलल सरकारी मैंगनी जोते तेरह हजार हमार 295 बावन गाड़ी पथरी लादल तिरपन गाड़ी बरूद किरिया खैली मौहबा गढ़ मे अब ना अन गराह पान बत्तिस गाड़ी सीसालद गैल जिन्ह के लङ्गेलदलतरवार पानी पीयों मद पीयों भौजी अन गौ के माँस . प्रक रूदेला प्रक डेबा पर नब्बे लाख असवार 335 तब ललकार सोनवौं बोलल मुँगिया लौड़ी के बलि जाओं बावन कोस के गिरदा में सगरे डिगरी देल पिटवाय फगुणा खेलावह मार देवर के इन्ह के फगुआ देह सौ सौ रुपया के दरमाहा हम से अबही ल० चुकाय खेलाय लड़े के बेरिया भागे नौ नौ मन के बेड़ी देओं भरवाय घोरै अबिरवा सिब मन्दिर में 300 बीगुल फूकल पलटन में बीगुल बाजा देल बजाय केउ तो मारे हुतका से के रूदल के मैसे गाल निकलल पलटन लहरा के बाबू मेघ झरा झर लाग340 भरल घेलवा है काँदो के देहन पर देल गिराय झाड़ बरूदन के लड़वैया साढ़े साठ लाख असवार धोती भीजल लरमी के पटुका भीजल बदामी वाल चललजे पलटन है लहरा के सिब मन्दिर के लेल तकाय माँती चूर के दुपटा है कीचन में गैल लोटाय बावन दुआरी के सिब मन्दिर बावनो पर तोप देल बोले राजा बब रूदल बाबू डेबा सुनी बात हमार 305 धरवाय रएडी के चाकर हम ना लागी तिरिया में रहों लुभाय रूदल रूदल घिराइल सिब मन्दिर माँ 344 में तो चाकर लेहा के सीता राम करे सो होय जरल करेजा है रूदल के घोड़ा पर फाँद भैल असवार बीड़ा मैंगावल पनवों के भर भर सीसा देल पिलाय ताल जो मारे सिब मन्दिर में बावनो मन्दिर गिरल पढ़ि पढ़ि मारे लौड़ा के टिकुली टूक टूक उड़ जाय . भहराय भागल लड़ी है सोनवों के लौड़ी जीव ले गैल पराय310 | बोलल राजा लहरा सिङ्घ रूदल कहना मान हमार लागल कचहरी इन्दरमन के बैंगला बड़े बड़े बबुआन | डरा फेर द० अब प्रजनी से तोहर महा काल कट जाय अोहि समन्तर लाड़ी पहुँचल इन्दरमन कन गैल बनाय | नाहि मानल बघ रूदल बाबू सूनी धरम के बात खवे लोटनियाँ पला तर रजा इन्दरमन अरजी मान बातन बातन में झगड़ा भैल बातन बढ़ल राड़ 350 - हमार बातक झगड़ा अब के मेटे झड़ चले लागल तरवार आइल रजा है बघ रूदल सोनवों के डोला घिरावल बाय | तड़तड़ तड़तड तेगा बोले जिन्ह के खटर खटर तरवार माँगे बिअहवा सोनवा के बरियारी से माँग बियाह 315 | सनसन सनसन गोली उड़ गैल दुइ दल कान दिहल है किछु बूता जाँपन में सोनवा के लाव० छोड़ाय "नाहि जाय मन मन झङ्के रजा इन्दरमन बाबू मन मन करे गुनान | झाड़ बरूदन के लड़वैया से साठ गिरल असवार बेर बेर बरजों सोनवा के बहिनी कहल नम्मानल मोर | जैसे बढ़ई बन के कतरे तैसे कूदि काटत बाय 355 पड़ गैल बीड़ा जाजिम पर बीड़ा पड़ल नौ लाख । आधा गङ्गा जल बहि गैल आधा बहलं रकत के धार
SR No.032506
Book TitleIndian Antiquary Vol 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages418
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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