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________________ 226 THE INDIAN ANTIQUARY. जेत्ता जे बा लड़वैया जिन्ह के सवा लाख असवार प्रत्तो बारता बा राजा के रूदल के सुनीं हवाल बीड़ा पड़ गेल बघ रूदल के रूदल बीड़ा लेल उठाय मारू डङ्का बजवावे लकड़ी बोले कड़ाम कड़ाम 425 नदी आल्हा के बोलवावल भाइ चल हमरा साथ करो बिश्रहवा सोनवाँ के दिन रात चले तरवार गऊन धोवी दुरगौली के बावन गदहा दुले दुधार मुङ्गर लाद देल गदहापर लड़वयी आफत काल 429 दानी कोइरी बबुरी बन के सिङ्घिन लाख घोड़े असवार चलन जे पलटन बघ रूदल के जिन्ह के तीन लाख असवार रानिक दिनवी का चलला में धाना पर पहुँचल बाय डेरा गिराने दुरगीली में डेरा गिरीले वाय बड़ गदोद रूदल बोलल नेवा सुनी चल्दा मोर बात नौ सौ सिपाही के पहरा वा आल्हा के देल बैठाय 435 रूदल चल गेल इन्द्रासन में अम्बर सेंदुर किन के गैल बनाय प्रत्तो बारता बा रूदल के नैना गढ़ के सुनी हवाल भेंटना गला या नैना के राजा इन्दरमन के गेल दरबार रूदन के भाई अन्गज्जर हे दुरगोली में डेरा गिरीले बाय तीन लाख पलटन साथन में वा आल्हा के तैयारी बाय 440 हाथ जोड़ के भैटना बोलल बाबू इन्दरमन के वलि _जाश्र हुकुम जे पाऊँ इन्दरमन के आल्हा के लेती बोलाय प्रतनी बोली सुनल इन्दरमन राजा बड़ मङ्गन होय जाय जेह दिन लैक आल्हा के तेह दिन आधा राज नैना के देव बटवाय चलन जे भेटवा वा नेना गढ़ से दरगोली में पहुंचल 445 बाय हाथ जोड़ के भेंटवा बोलल बाबू आल्हा सुनी महराज तेगा न चलिहे नैना गढ़ में धरम दुआरे होई बियाह हाथ जोड़ के आल्हा बोलल भेंटवा सुन धरम के [AUGUST, 1885. जवना किल्ला में बैठल इन्दरमन तहवाँ आल्हा गैल बनाय 455 छरपल राजा इन्दरमन आल्हा कन गैल बनाय पकड़ल पहुँचा आल्हा के धरती में देल गिराय बावन पाँती मुसुक चढ़ावे आखा में देल कसाय ले चढ़ावल बजड़ा पर बात नेया छोटक के बलि जाप 460 ले डुबाव आल्हा के गङ्गा द० डुबाय सवा लाख पलटन तैयारी होय गेल छोटक के गङ्गा पहुँच लै डुबावत बा गङ्गा में आल्हा के डुबावत बाय अम्बर बेटा जासर के आल्हा न डूबे बनाय रूदल दल इन्द्रासन से डेरा पर पहुँचल वाय रोए कहरिया दुरंगीली में बाबू रूदल बात बनाव 165 लै बावत वा आल्हा के गङ्गा में डुबावत वाय फाँद बछेड़ा पर चढ़ गल गङ्गा तारे पहुँचल बाय पड़ल लड़ा खोटक से तड़तड़तड़तड़ तेगा बोले उन्ह के खटर खटर तरबार जैसे छेरियन में हुड्डा पर वैसे पलटन में पहल 470 474 रूदल बबुआन जिन्ह के टैंगरी घे के बीगे से तक चूर चूर होय जाय मस्तक मारे हाथी के जिन्ह के डोंगा चलल बहा थापड़ मारे ॐटन के चारू टाँग चित होय जाय सजा लाख पलटन कट गेल छोटक के जो तक मारे छोटक के सिरवा दुइ खण्ड होय जाय भागल तिलङ्गा छोटक के राजा इन्दरमन के दरबार कठिन लड़ङ्का बा बघ रूदल सभ के काट कैल मैदान प्रत्तो बारता इन्दरमन के रूदल के सुनी हवाल ले उतारन बजड़ा से धरती मे देल धराय आखा खोल के रूदल देखे छाती मारे बजर के हाथ ले चढ़ावल पलकी पर दरवली में गेल बनाय प्रत्तो बारता बा आल्हा के इन्दरमन के सुनी हवाल बीड़ा पड़ गेल इन्दरमन के राजा इन्दरमन बीड़ा लेल 479 उठाय मारू बाजा बजवावे बाजा बोले जुझाम जुझाम एकी एका दन बटुरे दल बावन नब्बे हजार बावन मकुना खोलवाइन प्रकदन्ता तीन हजार मी सी तोप चले सरकारी मैगनी जोले तीन हजार बरह फेर के तीय मैगाइन गोला से देल भराय आठ फेर के तोप मँगाइन छूरी से देल भराय किरिया पड़ि गेल रजवान में बाबू चल के धिरकार उन्ह के काट करो° खरिहान 489 बात हम न जाइब नैना गढ़ में बिदत होई हमार किरिया धराने मैटवा हे बाबू सुनी" चाल्हा वयान 150 ये वन करिते' राजा से जिन्ह के खोज माजी खाय चलल पलकिया जब आल्हा के नैना गढ़ चलल बनाय. घड़ी चढ़ाद के चन्तर में नेना गढ़ पहुँचल शाय नो से कहरा साथे चल गैल नैना गढ़ पहुँचल जाय 485
SR No.032506
Book TitleIndian Antiquary Vol 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages418
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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