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________________ AUGUST, 1885.] THE SONG OF ALHA'S MARRIAGE. 223 215 बनाती पड़लि नजरिया है सोनवों के जिन्ह के अन्त कोह जरि जाय | फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आनाता नराखब ग्रह भैया के वह जाय 249 जेतना जे गहना बा देहन के डोला में देल धराय प्रतनी बोली लौडी सुन के लौड़ी बड़ मङ्गन होय जाय बावन गज के धोती बाँधे सोनवाँ कूद गैल ब्यालिस सानक चम्पा ले हाथन मा फुलवारी में जुमल बनाय हाथ | बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवा लौड़ी गैल बनाय पडलं लड़ाइ बहिनी भैया बाबू पड़ल कचौधी मार कड़खा बोली लौड़ी बोलल बाबू सुनी रजा मोर बात तड़तड़ तड़तड़ तेगा बोले जिन्ह के खटर खटर तरवार ह क खटर खटर तरवार | कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय सनसन सनसन गोली उड़ गैल जिन्ह जिमी न डाले पाँव | कौड़ी लाग फुलवारी के मोर कौड़ी दे चुकाय 255 सात दिन जब लड़ते बीतल बीत गैल सतासी रात तब ललकारे डेबा बोलल मुँगिया लौड़ी के बलि सात हाथ जब धरती गहिरा पड़ गैल जब हुँ न सोनवाँ | जाओं हटे बनाय 220 | हम तो राजा लोहगाँजर के दुनियाँ सिह नाम हमार घेचल तेगा रजा इन्दरमन जे दिन लेल अली के नाम | नेवता ऐली समदेवा के उन्ह के नेवता पुरावन आय जों तक मारे ओह सोनवों के जूड़ा पर लेल बचाय | प्रतनी बोली जब सुन गैले लौड़ी जर के भैल अंगार दोसर तेगा हन मारे कैंगना पर लेल बचाय करे हिनाइ बघ रूदल के 1 260 तेसर तेगा के मारत में सोनवाँ आँचर पर लेल | सैरहा चाकर पर मालिक के रूदलरोटी बिरानीखाय बचाय कत बड़ सोखी बघ रूदल के जे सोनवां से करे खाय कुदल बहुरिया प्रोजनी से कूदल बवन्तर हाथ 2261 बियाह पकड़ल पहुँचा इन्दरमन के धरती में देल गिराय | जरल करेजा है वष रूदल के तरवा से बरे अंगार ले के दाबल ठेहुना तर राजा राम राम चिचियाय | लोंडी हो के उतर दे अब का सोखी रहा हमार 264 पड़ल नजरिया समदेवा के समदेव रोवे जार बेजार । छड़पल राजा है बघ रूदल लौड़ीकन पहुँचल आय हाय हाय के समदेव धर बेटी सोनवौ बात मनाव पकड़ल पहुंचा लौड़ी के धरती में देल गिराय पहले काट पिता का पाछे काट भैया के सिर 280 | अंचरा फाड़े जब लाड़ी के जिन्ह के बन्द तोड़े अनप्रतनी बोली सोनवौं सुन गैल रानी बड़ मोहित होय जाय| मोल जान छोड़ देल इन्दरमन के जब सोनवा देल जबाब हुरमत लूटे ओहि लौड़ी के लाड़ी रामराम चिचियाय केतना मनौली ए भैया के भैया कहान० मनल मोर | भागल लड़ी है सोनवों के फुलवारी से गैल पराय 269 रात सपनवौं सिब बाबा के 284 बठली सोनवौ सिब मन्दिर में जहवा लाड़ी गेल बनाय प्रतनी बोली सुनल इन्दरमन राजा जर के भैल अंगार | बोले सोनवा लौड़ी से लाड़ी के बलि जाओं सोत खनाबों गङ्गा जी के सिब के चकर देब मैंगवाय केह से मिलल अब तूं रहलू प्रतना देरी कैलू बनाय फूल मैगाइब फुलवारी से घरही पूजा करू बनाय तब ललकारे लाड़ी बोलल रानी सोनवों के बलि जाओ तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय देवर आइल तोर बघ रूदल फुलवारी में जुमल बनाय करे हिनाइ बघ रूदल के 239 जिव ना बाँचल लाड़ी के सोनवा, जान बचाव उ तो निकसुआ है सांदड़ी के राजा झगरूदेल निकाल | हमार सैरहा चाकर पर मालिक के से सोनवों से कैसे नाम रुदेला के सुन गैले सोनवा बड़ मगन होय जाय करै बियाह जे बर हिछली सिब मन्दिर में से बर मांगन भैल पाँचो भौजी है सोनवी के सङ्गन में देल लगाय हमार मैंगिया लाड़ी के ललकारे लाड़ी कहना मान हमार | प्रतो बारता है सोनवा के रूदल के सुनी हवाल जैसन देखिहल सिब मन्दिर में तरिते खबर दिह घोड़ा बेनुलिया पर बघ रूदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर भेजवाय 244 घोड़ा उड़ावल बघ रूदल सिब मन्दिर में पहुँचल निकलल डोला है सोनवा के सिब मन्दिर में गेल बनाय जाय 280 बावन फाटक के सिब मन्दिर जेह में सोना गैल | घोड़ा बांध दे सिब फाटक में रूदल सिब मन्दिर में बनाय गैल समाय मरत देखे सिब बाबा के सोनवौं मन मन करे गनान पडलि नजरिया है सोनवा के रूदल पर पड़ गल लाड़ी लड़ी के ललकारे मैंगिया लौड़ी के बलि जात्रों दीठ 275
SR No.032506
Book TitleIndian Antiquary Vol 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages418
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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