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________________ 222 THE INDIAN ANTIQUARY. [AUGUST, 1885. जल के मछरी बहरी होय गैल डाँटे कान बहिर जिब ना बाचल मोर देबी के पण्डो जान बचाई मोर 176 होय जाय 135 | प्रतनी बोली पण्डो सुन गैल पण्डो रोए मोती के लोर बसहा चढ़ि सिब जी भगले देबी रोए मोती के लोर | थर थर कापे कुल्हि पएडो देबी सुनी बात हमार कहाँ के राजा प्रत बरिया है मोर फुलवारी कैल उजार बरिया राजा बघ रूदल लोहन में बड़ चण्डाल सुने पैहें रजा इन्दरमन हमरो चमड़ी लिहें खिंचाय भागल देबी इन्द्रासन से अब ना छटल मान हमार ' सती बहिनियाँ देवी इन्द्रासन से चलली बनाय भागल देबी इन्द्रासन से नैना गढ़ में गेल बनाय 180 घड़ी अढाइ का अन्तर में पँहुचली जाय 140 | बावन केवाड़ा का अण्डल में जेह में सोनवा सति रूदल सूतल फुलवारी में जहवा देबी जुमली बनाय बनाय देखल सूरत रूदल के देबी मन मन करे गुनान लग चरपाइ चानिन के सोनन के पटरी लाग बड़ा सुरत के ई लरिका है जिन्ह के नैनन बरै ईजोर चारो लौड़ी चारो बगल में बीचे सोनवौं सति बनाय पड़िहें समना इन्दरमन का इन्ह के काट करी मैदान 14 पान खबसिया पान लगावे केउ हाथ जोड़ भैल ठाद नींद ट्ट गैल बघ रूदल के रूदल चितवे चारो ओर | केउ तो लौड़ी जुड़वा खोले केउ पानी लेहले बाय 185 हाथ जोड़ के रूदल बोलल देबी सुनी बात हमार प्रोहि समन्तर देबी पहुँचल सोनवाँ कन पहुँचल बाय बावन छागर के भोग देइ भैंसा पूर पचास लै सपनावे रानी के सोनवौं सुनी बात हमार भोग चढ़ाइब अदमी के देबी अरजी मान० हमार आइल राजा बघ रूदल फुलवारी में डेरा गिरीले बाय प्रतनी बोली देबी सुन गैली देबी जरि के भैली अंगार | माँगे बिअहवा जब सोनवौं के बरिअरिया माँगे बियाह तब मुंह देबी बोलली बबुआ सुनी रूदल महराज 150 | जिब ना बाँचल मोर देबी के सौनवाँ जान बचाई बेर बेर बरनों बघ रूदल के लरिका कहल न०मनल | मोर 190 मोर नाम रूदल के सुन के सोनवौं बड़ मङ्गन होय जाय बरिया राजा नैना गढ़ के नयाँ पड़े हन्दरमन बीर लौड़ी लौड़ी के ललकारे मुँगिया लौड़ी बात मनाव बावन गुरगुज के किला है जिन्ह के तिरपन लाख बजार रात सपनवों में सिब बाबा के सिब पूजन चलि बनाय बावन थाना नैना गढ़ में जिन्ह के रकबा सरग पताल जीन झेपोला मोर गहना के कपड़ा के लाव० उठाय बावन दुलहा के सिर मौरी दहवीलक गुरैया घाट 155 | जौन झेपोला है गहना के कपड़ा के ले आव उठाय 195 मारल जैब बाबू रूदल नाहक जैहे पान तोहार खुलल पेठारा कपड़ा के जिन्ह के रास देल लगवाय पिएडा पानी के ना बचब हो जैब बन्स उजार पेन्हल घुघरा पच्छिम के मखमल के गोट चढ़ाय प्रतनी बोली रूदल सुन गैल तरवा से लहरल आग चौलिया पेन्हे मुसरुफ के जेह में बावन बन्द लगाय पकड़ल झाँटा है देवी के धरती पर देल गिराय पोरे पोरे अँगुठी पड़ गैल सारे चुरियन के झञ्झकार ऑखि सनीचर है रूदल के बाबू देखत काल समान 160 सोभे नगीना कनगुरिया में जिन्ह के हीरा चमके दूचर थप्पर दूचर मुक्का देबी के देल लगाय दाँत 200 ले के दाबल ठेहुना तर देबी राम राम चिचियाय सात लाख के मैंगटीका है लिलार में लेली लगाय राए देबी फुलवारी में रूदल जियरा छोड़ हमार जूड़ा खुल गैल पीठन पर जैसे लोटे करियवा नाग भेंट कराइब हम सोनवा से 18 काढ़ दरपनी मुँह देखे सोनवौं मने मने करे गुनान प्रतनी बोली रूदल सुन के रूदल बड़ मङ्गन होय जाय मर जा भैया रजा इन्दरमन घरे बहिनी रखे कुंभार मान छोड़ि देल जब देवी के देबी जीव ले चलल पराय बैस हमार बित गेले नैना गढ़ में रहली बार कुंभार 205 भागल भागल देबी चल गैल इन्द्रासन में पहुँचल जाय आग लगाइब प्रह सरत में नैना सैवली नार कुंभार पाँचो पण्डु इन्द्रासन में जहवा देबी गैल बनाय निकलल डोलवा है सोनवा के सिब का पूजन चलली पड़ल नजरिया है पण्डो के देबी पर पड़ गैलि दिष्ट | बनाय रोए पण्डो इन्द्रासन में देबी सुनी बात हमार 170 पड़लि नजरिया इन्दरमन के से दिन सुनोतिलगा बात तीन मुलुक के त मालिक देबी काहे रोव० जार वेजार | कहवाँ के राजा प्रत बरिया है बाबू डोला फैदीले जाय तब ललकारे देबी बोली पण्डो सुनी बात हमार सिर काट दे ओह राजा के कूर खेत माँ देओ आइल बेटा जासर के बघ रूदल नाम धराय गिराय 110 सादी माँगे सोनवा के बरिअरिया माँगे बियाह लङ्ग तेगा लेल इन्दरमन बाबू कूदल बवन्तर हाथ
SR No.032506
Book TitleIndian Antiquary Vol 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages418
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
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