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________________ अनुमोदना और जीवंत प्रेरणा द्वारा सविशेष लाभ होगा। ऐसी भावना से प्रेरित होकर, ऐसे दृष्टांतों का संग्रह करने के लिए सं. २०४९ के चातुर्मास में एक व्यवस्थित परिपत्र तैयार करके उसकी गुजराती और हिन्दी भाषामें कुल ५००० प्रतियाँ प्रकाशित की गयी थी । जैन शासन के चारों फिरकोंके प्रायः सभी साधु-साध्वीजी भगवंतों को और संघों को वह परिपत्र भिजवाया गया था । उसके प्रतिसाद के स्वल्पमें कुछ दृष्टांत मिले और ऐसे प्रयत्न के लिए हार्दिक अभिनंदन और अनुमोदना के सैंकड़ों पत्र आये । जिससे इस शुभ कार्य के लिए उत्साह में अभिवृद्धि हुई। उसके बाद अहमदाबाद, पालिताना आदिमें भी विविध समुदायों के मुनिवरादिका प्रत्यक्ष संपर्क करके उनके पाससे भी कुछ दृष्टांतों का संग्रह किया गया । . शक्यता के अनुसार उन उन दृष्टांत पात्रों को प्रत्यक्ष मिलकर या पत्र व्यवहार के माध्यम से प्रश्नोत्तरी द्वारा उनकी आराधना की जानकारी संप्राप्त की । इन सभी प्रयत्नोंकी फलश्रुति के रूपमें करीब २ साल पहले गुजराती भाषामें प्रस्तुत पुस्तककी कुल ४००० प्रतियाँ अलग अलग तीन पुस्तिकाओं के रूपमें और संयुक्त पुस्तक के रूपमें भी 'श्री कस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट-मुंबई' द्वारा प्रकाशित की गयी थी । इनमें से करीब १२०० से अधिक प्रतियाँ पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतोंको, ज्ञानभंडारों को, पुस्तक में संग्रहित दृष्टांत पात्रों को और दाताओं को सादर भेंट के रूपमें भिजवायी गयी थीं । बाकी रही हुई प्रतियाँ भी विक्रय द्वारा करीब समाप्त होने आयी हैं । . पुस्तक प्रकाशित होने के बाद प्रायः सभी समुदायों के गच्छाधिपति आदि आचार्य भगवंतादि साधु-साध्वीजी भगवंतों के सुज्ञ श्रावक-श्राविकाओं के और जैनेतर विद्वानों के भी अत्यंत अनुमोदना और हार्दिक अभिनंदन के सैंकड़ों पत्रोंकी मानो बरसात -34
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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