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________________ ३१० बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ हैं। यदि एक भी दिन पारणा किये बिना लगातार १०० ओलियाँ परिपूर्ण की जायं तो कुल ५०५० आयंबिल एवं १०० उपवास द्वारा १४ साल, ३ महिने एवं २० दिन लगते हैं। भूतकाल में श्रीचंद्रकेवली एवं महासेना और कृष्णा नामकी साध्वीजी भगवंतोंने वर्धमान आयंबिल तपकी १०० ओली के द्वारा कर्म निर्जरा करके कैवल्य एवं मुक्ति की प्राप्ति की होने की बात शास्त्रों में उल्लिखित की गयी है । आज निर्बल संहनन होने के बावजूद भी चतुर्विध श्री संघमें से सैंकडों आत्माओंने १०० ओलियाँ परिपूर्ण की हैं । उनमें से ७० मुनि भगवंत, १७९ साध्वीजी भगवंत, ३६ श्रावक एवं ३८ श्राविकाओं की नामावलि प्रस्तुत पुस्तक की गुजराती आवृत्तिमें प्रकाशित की गयी है । स्थान संकोच के कारण उसे पुनः यहाँ प्रकाशित नहीं किया गया है। उनमें से अनेक तपस्वीओंने कई ओलियाँ केवल चावल और पानी से ही की होंगी । कई तपस्वीओं ने कवल एक ही धान्य से या एक ही द्रव्य से कुछ ओलियाँ पूर्ण की होंगी । कई महानुभावों ने ठाम चौविहार ओलियाँ की होंगी । कई साधुसाध्वीजी भगवंतोंने उग्र विहारों में भी छोटे छोटे गाँवोंमें सहजता से मिल सकें ऐसे चने चुरमुरे या खाखरे एवं पानी से आयंबिल करके ओलियाँ की होंगी । कई तपस्वीओंने लगातार ५०० या १००० से भी अधिक दिनों तक लगातार ओलियाँ की होंगी। इन सभी तपस्वीओं की भूरिशः हार्दिक अनुमोदना । अब हम वर्धमान तप की लगातार १०३ ओलियाँ परिपूर्ण करनेवाले महातपस्वी, वीरमगाम (गुजरात) के श्राद्ववर्य श्री रतिलालभाई खोडीदास की बेजोड़ तप सिद्धि की अनुमोदना करेंगे । पान, बीड़ी, तम्बाकु, रात्रिभोजन इत्यादि के व्यसनी रतिलालभाई के जीवनमें सत्संग के प्रभाव से मोड़ आया एवं उन्होंने ५७ साल की उम्र में वि. सं. २०१७ में भाद्रपद वदि १० के दिन वर्धमान तप का प्रारंभ किया। इस तपकी नींव के २० दिन पूरे होते ही उनके दिल में मनोरथ उठा कि अगर २० दिन तक यह तपश्चर्या हो सकी तो आगे भी क्यों नहीं
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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