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________________ २९७ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ कि - 'आप लोगों ने बलिप्रथा बंद की है इससे प्रसन्न होकर मुंबई के संघोंने नैवेद्य के लिए राशि भेजी है ।' _ वि. सं. २०४८ में धर्मचक्र तपप्रभावक प. पू. पं. श्रीजगवल्लभविजयजी म.सा. (हाल आचार्य) का निपाणीमें चातुर्मास हुआ तब धर्मचक्र तप का बिआसन सुमतिभाई ने कराया था। राशि उन्होंने दी मगर दाताके रूप में नाम लिंगनूर गाँव का लिखाया और उस गाँव के अग्रणिओं का बहुमान करवाया। उस गाँव के लोग सुमतिभाई की ऐसी उदारता पर फिदा हो गये थे। उस गाँव के एक युवकने म.सा. को बताया कि - 'म.सा. ! जबसे हमारे गाँव में यह हिंसा बंद हुई है तबसे तीन लाभ हमको हुए हैं । खेतों में पहले की अपेक्षासे फसल ज्यादा होने लगी है । (२) फसल का दाम भी पहले से ज्यादा मिलने लगा है ।। (३) गाँव के अग्रणी को अनिवार्य रूपसे ओपरेशन करवाना ही पड़े ऐसी बीमारी थी मगर वे बिना ओपरेशन ही ठीक हो गये हैं। - इस प्रकार से भगीरथ पुरुषार्थ के द्वारा जीवदया का झंडा लहरानेवाले अहिंसा के पूजारी श्री सुमतिभाई शाह को कोटिशः धन्यवाद सह हार्दिक अनुमोदना । उनके दृष्टांत का अनेक स्थानों पर अनुसरण हो ऐसी शुभ भावना। सुमतिभाई आज हमारे बीचमें नहीं हैं । २ साल पूर्व ही उनका स्वर्गवास हो गया है इसलिए उनके सुपुत्र श्री सतीशभाई को शंखेश्वर में आयोजित समारोह में निमंत्रित करके उनका बहुमान किया गया था । तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 18 के सामने । पता : सतीशभाई सुमतिभाई राजाराम शाह ११२४/४ २१ गुरुवार पेठ, मु.पो. निपाणी, जि. बेलगाम, (कर्णाटक) पिन : ५९१२३७ फोन : ०८३३८ - २००८२
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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