SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 341
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६४ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ स्वास्थ्य ठीक हो गया मगर हसमुखभाई तो आज भी यही बात कहते हैं कि दवाई एवं डोक्टर तो निमित्त मात्र हैं बाकी तो ब्रह्मचर्य के पवित्र संकल्प के कारण ही वह बच गयी है !... विवाह के २ वर्ष बाद आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा हसमुखभाई की सगर्भा धर्मपत्नी को टेबल से नीचे गिरने के कारण चोट लगी । डोक्टरने निदान करते हुए कहा कि - ' शरीरमें ज़हर हो गया है, ओपरेशन करना पड़ेगा, जन्मनेवाला बच्चा या उसकी माँ दो में से एक ही बच सकेंगे' । हसमुखभाईने कह दिया - 'मुझे ओपरेशन नहीं करवाना है ।' बाद में हसमुखभाई ने संकल्प किया कि धर्मपत्नी का स्वास्थ्य ठीक हो जाय इस निमित्त से ८१ आयंबिल करूँ एवं ८१ आयंबिल पूर्ण नहीं हो तब तक ब्रह्मचर्य का पालन करूँगा । शादी को केवल दो ही साल हुए थे, फिर भी ऐसे भीष्म संकल्प के प्रभाव से कुछ ही देर में उनको स्फुरणा हुई कि अमुक डोक्टर को दिखलाऊँ । उस डॉक्टरने निदान करते हुए कहा कि - "चिन्ता मत करो, टाईफोइड है, ठीक हो जायेगा ।' डोक्टरने दवाई दी एवं बुखार उतर गया। बच्चा और माँ दोनो बच गये । ओपरेशन करवाना नहीं पड़ा । आयंबिल करने का अभ्यास बिलकुल नहीं होने से बहुत कठिनाई महसूस होने लगी । ३ सालमें भी ८१ आयंबिल पूरे नहीं हो पाये । आखिर उन्होंने अपनी भावना को बढाते हुए धर्मपत्नी की संमति से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार कर लिया। हसमुखभाईने होनेवाली पुत्रवधु के साथ शर्त रखी कि उबाला हुआ पानी पीना पड़ेगा और हमेशा नवकारसी - चौविहार का पालन करना पड़ेगा। शर्त का स्वीकार होने पर ही शादी हुई । इसी तरह अपनी बेटी की शादी से पहले उसके श्वसुर पक्ष के सदस्यों को भी
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy