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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ २६५. कहा कि - 'मेरी बेटी शादी के बाद भी नवकारसी -चौविहार करेगी एवं उबाला हुआ अचित्त पानी पीएगी। श्वसुर पक्ष से संमति मिलने पर ही उसकी शादी हुई। हसमुखभाई के घर के सभी सदस्य एवं उनकी विवाहित बेटी इन तीनों कठिन नियमों का आज भी अच्छी तरह से पालन करते हैं । कैसा जबरदस्त आचारप्रेम ।। .... बिना कारण से या सामान्य कठिनाई में भी अभक्ष्य-अनंतकाय का भक्षण एवं रात्रिभोजन करनेवाले जैनकुलोत्पन्न आत्माओं को इस दृष्टांतमें से प्रेरणा लेकर नरकप्रद रात्रिभोजन आदि भयंकर पापों से बचने के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। आजीवन बहाचर्य व्रत स्वीकारने की तीव्र तमन्ना ब्रह्मचर्य के कट्टर पक्षपाती प.पू. पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री मेघदर्शनविजयजी के पास कार्तिक महिने में एक दंपती ने आकर आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत प्रदान करने की विज्ञप्ति की ! दोनों रूपवान थे । उम्र करीब ३२ साल के आसपास की थी । उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि - 'इसी साल से धर्म में जुड़े हैं । चातुर्मास के दौरान संघ में जो भी तपश्चर्या आदि आराधना करायी गयी वह सब हमने भी की है ।' भरयुवावस्था के कारण इतना कठिन व्रत आजीवन देने के लिए महाराजश्रीने ना कही। उन्होंने पुनः आग्रह करते हुए कहा कि- 'हमने चातुर्मास के ४ महिनों में संपूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन किया है और आगे भी अच्छी तरह से पालन करेंगे ही।' फिर भी दीर्घदृष्टा मुनिश्री ने उनको, पुनः वंदन करने के लिए न आयें तब तक ब्रह्मचर्य का व्रत लेने की सलाह दी। आखिर उन्होंने
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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