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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ ११९ ब्रह्मचर्य के संकल्प का अद्भुत प्रभाव २६३ अहमदाबाद के निवासी उस भाई का नाम है हसमुखभाई । एक सुपुत्र के जन्म के बाद उनकी धर्मपत्नी का स्वास्थ्य खराब हो गया । ऐसा विचित्र रोग हुआ कि अहमदाबाद के करीब सभी चिकित्सकों को दिखाया और अनेक प्रकार की चिकित्साएँ कीं मगर कुछ भी सुधार नहीं हुआ । आखिर वे हताश हो गये । पत्नी का शरीर दिन-प्रतिदिन क्षीण होता जा रहा था । यदि यही परिस्थिति चालु रही तो पत्नी की ज्यादा दिन तक जिन्दा रहने की संभावना नहीं थी । हसमुखभाई को पत्नी के वियोग में खुद विधुर होंगे उससे भी ज्यादा चिन्ता यह सताती थी कि अपने छोटे बच्चे की देखभाल कौन करेगा ? उसके जीवन को धर्म संस्कारों से कौन सुवासित बनायेगा ? आखिर उन्होंने शुभ संकल्प किया । 'यदि धर्मपत्नी का स्वास्थ्य ठीक हो जायेगा तो मैं आजीवन ब्रह्मचर्य पालन करूँगा । ऐसा भीष्म संकल्प होते ही मानो चमत्कार हुआ । यकायक घर के दूरभाष की घंटी बजने लगी । हसमुखभाईने फोन उठाया । सामने से एक लेडी डॉक्टर बोल रही थीं 'आप की पत्नी का स्वास्थ्य कैसा है ? हसमुखभाई ने प्रत्युत्तर में कहा मुझे अब अहमदाबाद के किसी डोक्टरमें दिलचस्पी ही नहीं हैं । मैंने अहमदाबाद के करीब सभी नामांकित डोक्टरों को दिखाया मगर रोग को दूर करने की बात तो दूर रही, वे रोग का निदान भी नहीं कर सकते हैं !' लेडी डॉक्टरने कहा 'आप मेरे पास तो अभी तक आप की पत्नी को लाये ही नहीं, तब आप ऐसा क्यों कहते हैं कि मैंने अहमदाबाद के सभी डॉक्टरों को दिखाया है !' तुरंत हसमुखभाई अपनी धर्मपत्नी को लेकर लेडी डॉक्टर के पास गये । मरीज की जाँच करके इस लेडी डॉक्टर ने कह दिया कि ' इनको रोग अलग है और चिकित्सा दूसरी ही की गयी है । इनको प्रसूति का रोग है और दवाइयाँ टाईफोइड की दी गयी हैं । कुछ ही दिनों में लेडी डॉक्टर की दवाई से उनका -
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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