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________________ २२८ किया है। बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ (४) १५ वर्षमें स्थिरता पूर्वक उपरोक्त मंत्रका १ करोड बार जप (५) नवकार महामंत्र का १ करोड़ बार जप किया है । (६) "नमो अरिहंताणं" पदका १ करोड़ बार जप किया है । हाल में हररोज २५ पक्की नवकारवाली और शांतिनाथ भगवान एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की २५ - २५ माला का जप करने के बाद राई प्रतिक्रमण एवं सामायिक करने का उनका नित्यक्रम चालु है १ घंटे में १२ पक्की माला का जप कर सकते हैं । । 1 (७) नवपदजी की आयंबिल ओली की आराधना ३५ बार की है । १ वर्षीतप, समवसरण तप एवं छठ्ठ, अठ्ठम, अठ्ठाई आदि तपश्चर्याएँ की हैं। (८) पालिताना, शंखेश्वर एवं कच्छ और राजस्थान के अनेक तीर्थों की यात्रा कई बार की है । हररोज ३ घंटे तक प्रभुपूजा करते हैं । करोड़ों बार जप एवं खमासमण के सुंदर अनुभव होते हैं जो उनके स्वमुख से शंखेश्वर महातीर्थ में आयोजित अनुमोदना समारोह में भोगीलालभाई भी उपस्थित हुए थे । उनकी तस्वीर प्रस्तुत पुस्तक में पेज नं. 13 के सामने प्रकाशित की गयी है । - प्रभाव से उनको अनेक बार सुनने योग्य हैं । श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ को करोड़ों बार वंदना करनेवाले भोगीलालभाई का बहुमान भी शंखेश्वर तीर्थ में हुआ और बुझर्ग वय में भी शंखेश्वर महातीर्थ की यात्रा का लाभ मिलने से वे अत्यंत भाव विभोर हो गये थे । भोगीलालभाई के दृष्टांत में से प्रेरणा पाकर हम भी परमात्मा को पंचांग प्रणिपात पूर्वक नमस्कार एवं जप द्वारा कर्मनिर्जरा के मार्गमें आगे बढें यही शुभाभिलाषा । पत्ता : भोगीलालभाई माणेकचंद महेता मु. पो. गोधरा पिन : ३७०४५० कच्छ, ता. मांडवी कच्छ (गुजरात) -
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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